भारत में भ्रष्टाचार और विपक्षी दल

- योगेंद्र योगी
देश के राजनीतिक दलों के नेता कितने भ्रष्ट हैं, इसका अंदाजा केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) और प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) द्वारा की गई छापेमारी से लगाया जा सकता है। भ्रष्टाचार राजनीतिक दलों के लिए नासूर बन चुका है। आकंठ तक भ्रष्टाचार में डूबे होने के बावजूद विपक्षी दलों को छापे की कार्रवाई में द्वेष नजर आता है। विपक्षी दल छापे पडऩे पर हायतौबा तो मचाते हैं किन्तु देश से समूल रूप से भ्रष्टाचार का खात्मा कैसे हो, इसका उपाय नहीं बताते। भारतीय जनता पार्टी के खिलाफ संयुक्त तौर पर लोकसभा चुनाव लडऩे का मंसूबा पाले विपक्षी दलों ने एक बार भी भ्रष्टाचार के संपूर्ण खात्मे की बात नहीं कही। इसके विपरीत सीबीआइ और ईडी की कार्रवाई पर सवाल जरूर खड़े किए हैं। इन एजेंसियों की कार्रवाई के खिलाफ विपक्षी दल सुप्रीम कोर्ट तक जा चुके हैं, किन्तु वहां भी इनकी दाल नहीं गल सकी। ममता बनर्जी की तृणमूल कांग्रेस, शरद पवार की एनसीपी, अरविन्द केजरीवाल की आम आदमी पार्टी, लालू यादव का राष्ट्रीय जनता दल, सोनिया गांधी की कांग्रेस और फारूक अब्दुला की नेशनल कान्फ्रेंस सहित सभी छह दल इंडिया एलायंस के मुख्य घटक हैं। इन सभी दलों के कई नेताओं और मंत्रियों पर सीबीआई और ईडी छापे मार चुकी है। इनमें से कई मंत्री-नेता जेल में बंद हैं।



ज्यादातर को जमानत तक नहीं मिल सकी है। शराब घोटाले में फंसे दिल्ली के पूर्व उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया और आप के दूसरे नेता लंबे अर्से से जमानत के लिए तरस रहे हैं। यही स्थिति भ्रष्टाचार के मामलों में लिप्त दूसरे दलों के नेताओं की है। नेताओं का बस चलता तो शायद भाजपा की तरह अदालतों पर भी मिलीभगत का आरोप लगा देते। मजबूरी और डर का ही परिणााम है कि लंबे अर्से से जेल में बंद होने के बावजूद अदालतों पर भेदभाव बरतने का आरोप नहीं लगा सके। ईडी और आयकर विभाग की नई कार्रवाई में पश्चिम बंगाल में ममता कैबिनेट में खाद्य मंत्री रथिन घोष के 13 ठिकानों पर छापे मारे गए। वहीं, इनकम टैक्स चोरी के मामले में आईटी डिपार्टमेंट की टीमों ने तमिलनाडु में 40 से ज्यादा स्थानों पर छापेमारी की। डीएमके सांसद एस. जगतरक्षकन के घर और ठिकानों पर छापेमारी की गई। तेलंगाना में बीआरएस की विधायक मंगती गोपीनाथ से संबंधित ठिकानों पर छापे पड़े। साथ ही कर्नाटक में डीसीसी बैंक के चेयरमैन मंजूनाथ गौड़ा के शिवमोगा स्थित आवास पर भी ईडी ने छापेमारी की। दिल्ली में आम आदमी पार्टी सरकार के उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया शराब घोटाले में और जेल मंत्री सत्येन्द्र जैन मनी लॉन्ड्रिंग केस में लंबे समय से जेल में हैं। मनीष सिसोदिया ने गिरफ्तारी के तुरंत बाद इस्तीफा दे दिया। मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल को सत्येन्द्र जैन का भी इस्तीफा लेना पड़ा जो कि जेल मंत्री होते हुए साल भर से जेल में थे। आम आदमी पार्टी के सांसद संजय सिंह भी शराब घोटाले में जेल में हैं।


ईडी ने दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को शराब घोटाले के मामले में तलब किया है। पश्चिम बंगाल में पहले जहां शिक्षक भर्ती घोटाले में ममता सरकार के मंत्री पार्थ चटर्जी की गिरफ्तारी के बाद उन्हें मंत्री पद से हटना पड़ा था, वहीं राशन वितरण घोटाले में पूर्व खाद्य मंत्री और मौजूदा वन मंत्री ज्योतिप्रिय मलिक की गिरफ्तारी हो गई। ममता बनर्जी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर अपने विरोधियों के खिलाफ ईडी और सीबीआई के दुरुपयोग का आरोप लगाया था। ममता सरकार के मंत्री रहे पार्थ की सहयोगी अर्पिता मुखर्जी के घर से 22 करोड़ रुपए और एक अन्य सहयोगी के घर से 28 करोड़ बरामद किए थे। पार्थ चटर्जी की गिरफ्तारी के समय ममता बनर्जी उन्हें तुरंत मंत्री पद से हटाने को मजबूर हो गई थी। दो साल पहले नारदा स्टिंग मामले में भी ममता सरकार के दो मंत्रियों सुब्रत मुखर्जी और फिरहाद हकीम को गिरफ्तार किया था। जब इन दोनों मंत्रियों और एक विधायक को गिरफ्तार किया गया था तब ममता बनर्जी ने कोलकाता के सीबीआई दफ्तर के सामने धरना दे दिया था। तृणमूल कांग्रेस के एक बड़े और बाहुबली नेता अनुब्रत मंडल को मवेशी तस्करी मामले में गिरफ्तार किया गया था। राष्ट्रीय जनता दल के अध्यक्ष लालू यादव, उनकी पत्नी पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी और उनके बेटे बिहार के उप मुख्यमंत्री तेजस्वी यादव रेलवे में नौकरी के बदले जमीन के मामले में चार्जशीटेड हैं। कांग्रेस के बड़े नेता सोनिया गांधी और राहुल गांधी नेशनल हेराल्ड मामले में जमानत पर रिहा हैं। क्रिकेट एसोसिएशन के फंड में घोटाले में जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री फारूक अब्दुला के खिलाफ चार्जशीट दाखिल हो चुकी है। 2020 में ईडी ने उनकी 11.86 करोड़ की सम्पत्ति कुर्क कर ली थी। राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने मोदी सरकार पर अपने विरोधियों के खिलाफ केन्द्रीय जांच एजेंसियों के दुरुपयोग का आरोप लगाया। अशोक गहलोत इस बात से आग बबूला हो गए कि उनके बेटे वैभव गहलोत को भी ईडी ने सम्मन भेजा है।
असल में भाजपा सांसद किरोड़ी लाल मीणा ने अशोक गहलोत पर भ्रष्टाचार के आरोप लगाते हुए ईडी को एक शिकायत भेजी थी जिसमें कहा गया था कि काले धन को सफेद करने के लिए वैभव गहलोत की कंपनियों का इस्तेमाल किया जा रहा है। विपक्षी दलों के नेताओं पर की जा रही छापामारी को लेकर 13 राजनीतिक दलों की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी। याचिका में कहा गया था कि जब से केंद्र में एनडीए की सरकार बनी है, ईडी और सीबीआई ने जितने नेताओं पर कार्रवाई की है, उनमें से 95 प्रतिशत मामले विपक्षी दलों के नेताओं से संबंधित हैं। याचिका में मांग यह थी कि इन एजेंसियों को गाईड लाईन जारी की जानी चाहिए, क्योंकि सरकार उनका राजनीतिक विरोधियों के खिलाफ इस्तेमाल कर रही है। याचिका में बताया गया था कि 2004 से 2014 के बीच 72 राजनेताओं के खिलाफ सीबीआई ने जांच की थी, जिनमें से 60 प्रतिशत से भी कम (43) विपक्षी पार्टियों से संबंधित थे। लेकिन मोदी सरकार में यह आंकड़ा 95 प्रतिशत के पार जा चुका है। विपक्षी पार्टियों ने कोर्ट में कहा कि ईडी की रेड एक प्रताडऩा के टूल के तौर पर इस्तेमाल की जा रही है। मजेदार बात यह है कि इस याचिका में यह भी कहा गया था कि याचिकाकर्ता विपक्षी पार्टियों को भी 45 प्रतिशत वोट मिले थे। शीर्ष कोर्ट ने कहा था कि आम लोगों और नेताओं के खिलाफ कार्रवाई में कोई अंतर नहीं किया जा सकता। सुप्रीम कोर्ट ने पहली ही सुनवाई में इस याचिका को खारिज कर दिया था।
यूपीए सरकार में सीबीआई ने 2जी स्पेक्ट्रम, राष्ट्रमंडल खेल और कोयला ब्लॉक आवंटन जैसे कई बड़े मामलों की जांच की थी। मनमोहन सिंह सरकार के दौरान सीबीआई ने लगभग 43 विपक्षी नेताओं से पूछताछ की थी। इनमें भाजपा के 12 नेता भी शामिल थे। मौजूदा केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह भी उस वक्त सीबीआई जांच के दायरे में आ गए थे। वे उस समय गुजरात सरकार में मंत्री थे। जांच एजेंसी ने उन्हें सोहराबुद्दीन शेख की कथित मुठभेड़ में हुई हत्या के मामले में गिरफ्तार किया था। सीबीआई जांच के दायरे में आए एनडीए के दूसरे बड़े नेताओं में जनार्दन रेड्डी, बीएस येदियुरप्पा और पूर्व रक्षा मंत्री जॉर्ज फर्नांडीस भी थे। एमके स्टालिन और मुलायम सिंह यादव के खिलाफ भी सीबीआई जांच हुई थी। ईडी ने पिछले 9 साल में 5906 केस रजिस्टर्ड किए हैं, जिनमें सिर्फ तीन प्रतिशत केस ही राजनीतिक लोगों से संबंधित हैं। इसलिए यह कहना आधारहीन है कि ईडी सिर्फ राजनीतिक लोगों पर ही कार्रवाई करती है। विपक्ष के द्वेषपूर्ण कार्रवाई के आरोपों के जवाब में भाजपा का कहना है कि विपक्षी नेताओं को टारगेट करके ईडी की कार्रवाई की जाती है तो उन्हें यह बताना चाहिए कि अब से पहले जितने ईडी के मामले हुए हैं, उनमें से कितनी कार्रवाई में अदालत से राहत मिली है? अगर सरकार के प्रभाव में एजेंसी ने काम किया होता, तो निश्चित तौर पर अदालत ने हस्तक्षेप कर ऐसे नेताओं को राहत प्रदान की होती।
(स्वतंत्र लेखक)

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