संभालें चिकित्सा व्यवस्था,चीन की नयी बीमारी ने मचाई हलचल 
 इलमा अजीम 
कोरोना महामारी की दहशत से दुनिया बाहर आ चुकी है। इस बीच चीन में फैली रहस्यमयी बीमारी ने फिर सभी को आशंकित कर दिया है। कोरोना की शुरुआत चीन से ही हुई थी। इसलिए विश्व जगत में इस नई बीमारी को लेकर चिंता बनी हुई है। भारत का केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय भी अलर्ट मोड पर आ गया है। उसने सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों से कोविड-19 जैसी गाइडलाइन की पालना करवाने को कहा है। साथ ही कहा है कि बीमारी को लेकर दहशत में आने की जरूरत नहीं है। हां, ऐसी बीमारियों से बचने के लिए आवश्यक सावधानी का ध्यान जरूर रखें। सर्दी के मौसम में निमोनिया या सांस से जुड़ी दूसरी बीमारियां होने की आशंका हमेशा ही बनी रहती है। जिस तरह से प्रदूषण बढ़ रहा है, उससे भी ऐसी बीमारियों से पीडि़त मरीजों की संख्या बढ़ रही है। ये बीमारियां लाइलाज नहीं हैं, लेकिन कोई भी बीमारी यदि तेजी से फैलती है, तो चिकित्सा का ढांचा चरमरा जाता है और मरीजों के सामान्य उपचार में भी मुश्किल आती है। इसलिए सबसे पहले तो इस बात पर जोर दिया जाना चाहिए कि लोग सतर्क रहें और गाइडलाइन का सख्ती से पालन करें। 


समारोह या सभा के बहाने भीड़ जुटाने और भीड़भाड़ वाले स्थानों पर जाने से बचना होगा। साफ-सफाई का ध्यान रखते हुए मास्क को फिर से महत्त्व देना होगा। सावधानी के बावजूद बीमारी की चपेट में आने पर समुचित उपचार करवाने पर ध्यान देना होगा। इसलिए बीमार हो जाने पर नीम हकीमी उपचार करने की बजाय डॉक्टर से संपर्क करना ही बेहतर होगा। चीन में जिस तरह के हालात पैदा हुए हैं, उससे सबक लेते हुए केंद्र और राज्य सरकारों को चिकित्सा का ढांचा चुस्त-दुरुस्त करने पर ध्यान देना होगा। सभी इस बात की प्रार्थना करेंगे कि यह बीमारी भारत तक न पहुंचे, लेकिन बीमारियां किसी सीमा को नहीं मानतीं। इसलिए इससे निपटने के एहतियाती उपाय पहले ही करने होंगे। आवश्यक दवाइयों और वेंटिलेटर की उपलब्धता बनाए रखनी होगी। साथ ही सरकारी और निजी अस्पतालों में अस्थायी बेड की व्यवस्था पर भी ध्यान देना होगा। यह बीमारी बच्चों को ही ज्यादा प्रभावित कर रही है। इसलिए बच्चों के अस्पतालों की व्यवस्था ठीक करने पर खास ध्यान देना आवश्यक है। इस तरह के संकट में ऐसे लोग भी सक्रिय हो जाते हैं, जिनके लिए पैसा ही भगवान होता है। ऐसे मानवताद्रोही तत्वों की गतिविधियों पर भी नजर रखना जरूरी है। चीन सही सूचनाएं नहीं देता, इसलिए विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) को लगातार चीन पर निगाह रखनी होगी और उसे इस बात के लिए बाध्य करना होगा कि वह बीमारी से जुड़ी सभी सूचनाएं समय पर उपलब्ध करवाए।

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