बेटियों को दें बराबर का सम्मान
इलमा अजीम
देश इस वक्त नवरात्र की पावन वेला में तन-मन से साधनारत है, आराधना देवी की, जो शक्ति की प्रतीक हैं। उनके दृश्य-प्रतीक नारी की शक्ति और क्षमताओं को दर्शाते हैं। बहुत संभव है हमारे पूर्वजों ने इस पर्व की शुरुआत समाज में नारी की गरिमा व सम्मान को व्यवहार में लाने के लिये की। मसलन, यह बताने की कोशिश कि किसी समाज की सभ्यता के तौर पर पहचान तभी तक है जब तक उस समाज में नारी को पूरा सम्मान मिलता है। स्त्री को न केवल समानता का दर्जा व्यावहारिक जीवन में देना जरूरी है बल्कि उसकी अस्मिता की रक्षा भी सुनिश्चित करना है। उसका जीवन किसी भी तरह के भेदभाव से मुक्त रखना होगा। हमारे समाज ने शेर पर विराजमान देवी को नारी शक्ति के प्रतीक के रूप में पूजा है। जो इंगित करता है कि वह वक्त पड़ने पर हिंसक शेर को भी वश में करना जानती है। उसके अस्त्र-शस्त्र उसकी क्षमताओं के पर्याय हैं, यह बताने के लिये कि वह अपने साथ होने वाले अन्याय का जवाब देने में सक्षम है। संदेश यह कि वह कमजोर नहीं है। साल में दो बार आने वाले शारदीय व वासंतिक नवरात्र हमें नारी शक्ति, अस्मिता व गरिमा का अहसास कराने के लिये हैं। लेकिन विडंबना है कि हमने इन प्रतीकों व संकेतों को महज कर्मकांड में तब्दील कर दिया है। हाल के दिनों में हम रोज अखबारों पर नजर डालें तो आये दिन महिलाएं अपराधियों की क्रूरता का शिकार होती नजर आती हैं। ऐसा लगता है कि देश में यौन हिंसा का विस्फोट हो रहा है। कष्टदायक है कि मोबाइल पर इंटरनेट की पहुंच के बाद उसमें अश्लील सामग्री का सैलाब-सा नजर आ रहा है। ये पाश्चात्य खुलापन व अश्लीलता न हमारे संस्कारों में है और न ही हमारे वातावरण व जलवायु इसके अनुकूल हैं। देश में कई बड़े यौन अपराधों में यह डराने वाला सच सामने आया है कि अपराधियों ने मोबाइल पर अश्लील सामग्री देखने के बाद यौन अपराधों को अंजाम दिया। ऐसे में माता-पिता को यह जिम्मेदारी निभानी होगी कि युवा इस भटकाव से बचें। दरअसल, नवरात्र का यह पर्व कन्याओं के पूजन तक ही सीमित नहीं रहना चाहिए। युवाओं में भी ऐसे संस्कार पनपने चाहिए कि समाज में बेटियों का सम्मान केवल नवरात्र में ही नहीं, सालभर करना है। जिस दौर में यौन कुंठाएं लगातार अपराध की वजह बन रही हों, वहां इसके खिलाफ देशभर में मुहिम चलाने की जरूरत है। इसमें परिजनों, शिक्षकों व समाजसेवी संस्थाओं को रचनात्मक पहल करनी होगी।
No comments:
Post a Comment