मां व शिशु की सुरक्षा के लिए संस्थागत प्रसव जरूरी
जोखिम न झंझट, जच्चा-बच्चा की जान को नहीं रहता कोई संकट
नोएडा, 20 अक्टूबर 2023। भंगेल के रहने वाले राजमिस्त्री राजेश की पत्नी सुधा (बदला हुआ नाम) जब गर्भवती हुई तो वह सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र भंगेल में प्रसव पूर्व जांच के लिए पहुंची। गर्भ धारण के तुरंत बाद हुई जांच में सब कुछ सामान्य था, लेकिन छह महीने के बाद जब जांच कराई तो सुधा को उच्च जोखिम गर्भावस्था में चिन्हित किया गया। जांच में खून की कमी पायी गयी। उनका हीमोग्लोबिन करीब आठ मिलीग्राम था। शारीरिक रूप से भी वह काफी कमजोर थीं। उन्हें सलाह दी गयी कि वह हर हालत में संस्थागत प्रसव ही कराएं और किसी भी तरह का जोखिम नहीं उठाएं। इस सलाह के साथ उन्हें जिला अस्पताल रेफर कर दिया गया। सुधा ने चिकित्सक की सलाह पर पूरी तरह अमल किया। आयरन- कैल्शियम की गोलियां लेने के साथ ही खानपान का भी ध्यान रखा और प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व अभियान का लाभ लेते हुए नियमित जांच कराई। नतीजा यह हुआ कि उनका हीमोग्लोबिन बढ़ कर 11 मिग्रा हो गया और वजन भी बढ़ गया। ठीक नौ महीने बाद सितम्बर में उन्होंने जिला अस्पताल में एक स्वस्थ बालक को जन्म दिया।
अपर मुख्य चिकित्सा अधिकारी (आरसीएच) डा. ललित कुमार कहते हैं- संस्थागत प्रसव से प्रसूता और होने वाले बच्चे को कई फायदे होते हैं। सबसे पहले तो गर्भधारण के तत्काल बाद ही जांच व उपचार की सुविधा मिल जाती है। उच्च जोखिम प्रसव वाली गर्भवती चिन्हित हो जाती हैं। इससे गर्भावस्था के दौरान स्वास्थ्य जांच और प्रसव के बाद देखभाल और निगरानी करने में सहायता मिलती है, जबकि घर पर होने वाले प्रसव के दौरान यह सुविधाएं नहीं मिल पाती हैं और जच्चा-बच्चा की जान का पूरा जोखिम रहता है। संस्थागत प्रसव में नवजात शिशु की देखभाल के लिए तत्काल चिकित्सा सुविधा मौजूद रहती है एवं बाल रोग विशेषज्ञ द्वारा नियमित रूप से जांच की जाती है।
बच्चे को जन्म के एक घंटे के भीतर मां का दूध भी मिल जाता है। संस्थागत प्रसव के दौरान अस्पताल में इस बात का पूरा ध्यान रखा जाता है कि जन्म के एक घंटे के भीतर बच्चे को मां का पीला गाढ़ा दूध पिला दिया जाए, जबकि घर पर अक्सर बच्चा मां के पीले गाढ़े दूध से वंचित रह जाता है, जो कि आगे चल कर कुपोषण सहित कई अन्य बीमारियों का शिकार हो जाता है।
संस्थागत प्रसव होने पर बच्चे का टीकाकरण समय पर हो जाता है, जबकि घर पर पैदा हुए बच्चों का कई बार जानकारी के अभाव में समय पर टीकाकरण नहीं हो पाता है।
संस्थागत प्रसव होने पर बच्चे के जन्म प्रमाण पत्र बनवाने में कोई दिक्कत नहीं आती है, जबकि घर पर पैदा हुए बच्चे के जन्म प्रमाण पत्र बनवाने में तमाम दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। कई बार समय पर औपचारिकता पूरी न होने के कारण समस्या और बढ़ जाती है।
संस्थागत प्रसव होने पर परिवार नियोजन के बारे में जानकारी मिल जाती है और जरूरत के हिसाब से साधन भी उपलब्ध हो जाते हैं। इसके अलावा संस्थागत प्रसव को बढ़ावा देने के लिए जननी सुरक्षा योजना के तहत किसी भी सरकारी अस्पताल में प्रसव कराने पर प्रसूति को आर्थिक सहायता भी दी जाती है। इसके तहत ग्रामीण क्षेत्र में 1400 रुपये जबकि शहरी क्षेत्र में 1000 रुपये मिलते हैं।
अप्रैल 2023 से सितम्बर 2023 तक जनपद में हुए 8918 संस्थागत प्रसव
जिला सलाहकार मातृ स्वास्थ्य राजेन्द्र प्रसाद ने बताया- संस्थागत प्रसव को लेकर लोग धीरे-धीरे जागरूक हो रहे हैं। एक अप्रैल 2023 से सितम्बर तक करीब 8918 प्रसव संस्थागत हुए, जबकि 624 प्रसव घरों में हुए। उन्होंने बताया संस्थागत प्रसव से जच्चा-बच्चा की तो सुरक्षा होती ही है साथ ही सरकार की ओर से प्रोत्साहन राशि भी मिलती है। उन्होंने बताया ग्रामीण क्षेत्र की गर्भवती को संस्थागत प्रसव कराने पर जननी सुरक्षा योजना के तहत 1400 रुपये और शहरी क्षेत्र की महिला को 1000 हजार रुपये दिये जाते हैं। यह राशि लाभार्थी के बैंक खाते में सीधे ट्रांसफर की जाती है।
जनपद में 15 सरकारी स्वास्थ्य केन्द्रों पर है संस्थागत प्रसव की सुविधा
जिला कार्यक्रम प्रबंधक मंजीत कुमार ने बताया- जनपद में 15 सरकारी स्वास्थ्य केन्द्रों पर संस्थागत प्रसव की सुविधा उपलब्ध है। जिला अस्पताल, राजकीय आयुर्विज्ञान संस्थान (जिम्स) ईएसआईसी, सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र दादरी, ढाडा, बादलपुर, जेवर, भंगेल, बिसरख, प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र जेवर, दनकौर, जहांगीरपुर, मंडी श्यामनगर और एडिशनल प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र बरौला, स्वास्थ्य उपकेन्द्र रबुपुरा पर प्रसव सुविधा उपलब्ध है।
आपात कालीन परिस्थिति से बचें एम्बुलेंस सेवाएं लें
डा. ललित ने बताया- संस्थागत प्रसव के लिए घर से अस्पताल और अस्पताल से घर लाने- ले जाने के लिए शासन की ओर से एम्बुलेंस की व्यवस्था की गई है। कोई भी गर्भवती या उसके परिजन प्रसव के लिए अस्पताल तक पहुंचने के लिए एम्बुलेंस सेवा 102 का लाभ उठा सकते हैं। एम्बुलेंस से अस्पताल जाने का एक बड़ा फायदा यह होता है कि किसी भी आपातकालीन परिस्थिति से निपटने के लिए प्रशिक्षित इमरजेंसी मेडिकल टेक्नीशियन (ईएमटी) स्टाफ उपलब्ध रहता है।
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