1857  के चपाती आंदोलन की तर्ज पर चली  भाजपा 

घर -घर तक भाजपा कार्यकर्ताओं तक पहुंचने के लिए मास्टर स्टौक 

 मेरठ। 2024 में होने वाले लोकसभा चुनाव में भाजपा कोई कसर नहीं छोड रही है। दो बार केन्द्र में आ चुकी मोदी सरकार ने तीसरी बार केन्द्र आने के लिए मास्टर स्ट्रोक खेला है। जिसका नाम दिया है। मेरी माटी मेरा देश। फ्लँश बेक में अगर जाए तो 1857 अगेंजों को टक्कर देने के लिए रोटी क्रान्ति का संचार हुआ था। जो इतना सफल रहा था । अग्रेज भी भांप नहीं पाए थे। अब उसी तर्ज पर भाजपा प्रत्येक कार्यकत्र्ताओं को घर घर पहुचाने के लिए दो चुटकी चावल व मिटटी के बहाने जनता तक पहुंचने का प्रयास कर रही है। यह प्रयोग कितना सफल होता है यह आने वाला समय ही बता पाएंगा। 

 बता दें अठारह सौ सत्तावन की लड़ाई के दौरान चपाती आंदोलन ने अंग्रेजों की नाक में दम कर दिया था। इस आंदोलन में एक गांव का चौकीदार दूसरे गांव में चपाती बना कर ले जाता था, चौकीदार वह रोटी खुद खाता और एक-एक हिस्सा अन्य को भी देता, जिसके हिस्से सबसे आखिरी निवाला आता उसे ही तीसरे गांव में रोटी पहुंचानी होती। इसका मतलब होता था कि जिस गांव में रोटियां खत्म हुई, उस गांव के लोग क्रांति के लिए तैयार हैं। 1857 में ईस्ट इंडिया कंपनी के सैन्य अधिकारी डॉ गिल्बर्ट हैडो ने ब्रिटेन में अपनी बहन को इस चपाती आंदोलन के बारे में बताया था। बताते हैं कि इस आंदोलन का कोई सबूत न मिलने से अंग्रेजी अफसर परेशान हो गए थे। उन्हें क्रांति की भनक तक लगने नहीं पाई थी। नब्बे हजार से ज्यादा भारतीय सैनिकों ने भी एक गांव से दूसरे गांव में रोटियां भिजवाई थीं। 5 मार्च, 1857 तक यह चपाती अवध से रुहेलखंड और फिर दिल्ली से नेपाल गई थी। यह प्रयोग उस समय काफी सफल साबित हुआ था। 

अब एक बार फिर से उसी तर्ज  भाजपा ने गत 8 से 13  सितम्बर तक यह अभियान चलाया है। मेरठ में इसकी शुरूआत  लखमी विहार के वार्ड नम्बर चार से सांसद राजेन्द्र अग्रवाल ने कर दी है। यह अभियान मेरठ समेत पूरे देश में चलाया जा रहा है। अभियान में  सभी भाजपा सांसद व विधायक  पदाधिकािरयों  व कार्यकत्र्ता केा जोडा गया है। मकसद एक है  । किसी तरह घर घर पहुंच कर जनता से सम्पर्क की भाजपा की नीतियों को बताया जा सके। अभियान भी काफी सफल होता दिखाई दे रहा है। मेरठ। में सांसद राजेन्द्र अग्रवाल, राज्य मंत्री डा सोमेन्द्र तोमर, कैंट विधायक अमित अग्रवाल ,भाजपा नेता विनीत शारदा, चरण सिंह लिसाडी समेत तमाम लोग जुटे है। 

 बसपा की मायावती की सोशल इंजिनियरिंग की तरह भाजपा का यह प्रयास कितना सफल साबित होता है। यह तो लोकसभा चुनाव के बाद पता चल पाएंगा। 

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