कथावाचक अनिरुद्धाचार्य बोले-राजनेता आध्यात्म से जुड़कर काम करें:
कहा- अगर नेता आध्यात्मिक होंगे तो ईमानदारी से देश आगे बढ़ेगा
मेरठ।कथावाचक संत अनिरुद्धाचार्य ने देश के विकास का फार्मूला राजनीति और ईमानदारी को बताया है। उनका कहना है अगर राजनेता आध्यात्म को अपनाएंगे तो ईमानदारी से अपना काम करेंगे। इसी ईमानदारी से देश का विकास होगा।
मेरठ में इन दिनों स्वामी अनिरुद्धाचार्य प्रवास पर हैं। यहां भैंसाली मैदान में भक्तों को कथा सुना रहे हैं। सोमवार को महाराज जी सहकारी समिति के शपथ ग्रहण समारोह में पहुंचे। शपथ ग्रहण समारोह में मौजूद भाजपा सांसद, विधायक सहित अध्यक्ष और तमाम नेताओं को महाराज श्री ने भ्रष्टाचार से दूर रहने का संदेश दिया। कहा सरकारी धन पर्सनल काम के लिए नहीं हैं। निजी काम में निजी धन लगाएं। राजनीति में आध्यात्म को लाने का संदेश भी दिया।
अनिरुद्धाचार्य महाराज ने कहा कि राजनेता, कार्यकर्ता ईमानदारी से अपने काम को करें। राजनीति में आध्यात्म होना चाहिए, अगर राजनीतिज्ञ लोग आध्यात्मिक होंगे तो ईमानदारी से देश आगे बढ़ेगा। यही बात हम समझाना चाहते हैं। सच्चाई, ईमानदारी से देश का विकास होना चाहिए।कथावाचक ने कहा कि बैंक हमारे देश की मेरुदण्ड है, जो पूरे देश की अर्थव्यवस्था को थामे हुई है। कहा आज ये न सोचें कि हम अपने लिए काम कर रहे हैं। ये सोचें कि हम देश के लिए काम करें। राजनेता, पदाधिकारी ये सोचें कि हमारे अच्छे काम से देश आगे जाएगा तो देश निश्चित बहुत आगे जा सकता है। कहा एक अच्छी प्लानिंग अच्छी व्यवस्था चाहिए। इसके लिए ईमानदारी जरूरी है।
बेईमानी से करोड़ रुपए कमा सकते हैं लेकिन हमारी ये बेईमानी पाप के रूप में पीढ़ियों को भोगना पड़ेगी। उन्होंने भाजपा नेताओं को चाणक्य और चंद्रगुप्त का किस्सा सुनाकर इशारों इशारों में बढ़ा संदेश दिया। कहा सरकारी पैसा, सरकारी सुविधाओं का पर्सनल प्रयोग न करें। उसे बचाएंकहा सांसद, विधायक किसके विधायक हैं इसलिए जो भी पद दिया जाए उसको ईमानदारी से चलाएं, कहा कर्म को आगे रखें, देश को आगे रखें ये मत कहो कि मैं इस काम को कर रहा हूं। कहा सांसद, विधायक ये समझे कि हमें ईश्वर ने जिम्मेदारी दी है हम ये काम कर सकें। इसे हमको ईमानदारी से आगे बढ़ाना है। बेईमानी, भ्रष्टाचार करने से बचे। कोई हमें लाख दो लाख या करोड़, हजार की घूस भी दे तो उसे लेने से बचें। कहा कि ईमानदारी की नमक रोटी भी बहुत अच्छी है। अपनी आने वाली पीढ़ियों को ईमानदारी का संदेश और शिक्षा देकर जाएं।
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