प्रकृति संरक्षण: जीवन संरक्षण
- डॉ. ओपी चौधरी
प्रकृति हमें जीवन देती है, उसका संरक्षण हमें प्राणप्रण से करना चाहिए।ये जमीं, ये आसमां, ये हवा -पानी, ये सूरज- चांद- सितारे, ये वन, नदी- नाले, तालाब, पहाड़, झरने, पेड़- पौधे, वनस्पतियां, पशु- पक्षी, जीव- जंतु सभी उस कुदरत  की अमानत हैं, जिसके सनिध्य में ही हमारा सब कुछ है।
प्रकृति की किसी भी इकाई पर हमारा कोई आधित्य नहीं है। प्रकृति हम पर निर्भर नहीं है, बल्कि हम प्रकृति पर निर्भर हैं, हमारा जीवन निर्भर है। इसलिए प्रकृति की किसी भी इकाई को बर्बाद करने का ,नष्ट करने का, मिटाने का, खत्म करने का हमें कोई हक नहीं है । बल्कि हमें हर समय, हर पल उस प्रकृति का संरक्षण करते रहना चाहिए, जिसने हमारी जरूरत के लिए कुदरत की इन  विविध इकाइयों को बनाया है।
प्रकृति की किसी भी इकाई को हम बना नहीं सकते और न ही पैदा कर सकते हैं। प्रकृति की इकाइयों के बगैर इस धरती पर हमारा जीवन नहीं चल सकता।केवल हवा और पानी में से कोई  भी एक तत्व मौजूद ना हो, तो हम जिंदा नहीं रह सकते।
हमें चाहिए,कि हम प्रकृति की प्रत्येक इकाई को संभाल कर व संवारकर रखें, ताकि भविष्य में हमारे बाद हमारी आने वाली पीढ़ी भी इस धरती पर खुशी के साथ जीवन जी सकें। हमें समय रहते प्रकृति के हक में सही दिशा में वह सब काम करने चाहिए,जो प्रकृति के हक में बेहतर हों, जिनसे प्रकृति की खूबसूरती बरक़रार रहे,अर्थात प्रकृति का वैभव बना रहे और हमारा जीवन बचा रहे।



हम अच्छी तरह जानते हैं कि इस धरा पर रहने वाले मानव, पशु-पक्षी, जीव-जन्तु,पेड़ -पौधे,वनस्पतियां,जल आदि सभी  कुदरत की देन हैं अर्थात प्रकृति के अंग हैं। हमें प्रकृति के बीच,कुदरत के सानिध्य में जो सुकून मिलता है,वह अन्यत्र कहीं नहीं।महात्मा गांधी ने प्रकृति को ही ईश्वर माना है,उनका मानना है कि हमें प्रकृति के सानिध्य में रहना चाहिए, वह हमारी समस्त आवश्यकताओं की पूर्ति कर सकती है।          
जब भी आप अकेलापन महसूस करें या निराशाजनक, अवसाद की स्थिति में जाएं तो ऐसी परिस्थिति में प्रकृति के बीच जाइए। जल की विपुल राशि को निहारिये, वनस्पतियों, लताओं को गले लगाइए, फलों से लदे पेड़ों को निहारिये, बहुत ही सकून मिलेगा चित्त शांत होगा, मन की उदग्निता, बेचैनी, घबड़ाहट दूर होगी, बढ़ा हुआ रक्तचाप कुछ कम होगा।
यदि वे पेड़ आपके द्वारा रोपित हैं,जिस पर फल लगे हैं,तो और भी अच्छी अनुभूति होगी।आपको जो पहली सैलरी मिलने पर प्रसन्नता होती है,वही अपने लगाए गए पेड़ में फल लगने पर देखकर होती है।
प्रकृति अपने आप आपके कई सवालों व उलझनों का सटीक जवाब मिल जाएगा।कुदरत का सानिध्य हमें स्वस्थ व प्रसन्न रखता है।इसलिए आप जहां भी रहें वहाँ कुछ न कुछ फल-फूल,पौधे अन्य दरख्त लगाइए। उसकी निरंतर देखभाल करिए।
परिश्रम करने से आपका शरीर स्वस्थ रहेगा और उन पौधों को निहार कर आपके मन को निश्चित रूप से सुकून मिलेगा,शांति मिलेगी।वैसे तो सब कुछ प्रकृति ही है, आपकी दिनचर्या जितनी उसके करीब होगी,उतनी ही जिंदगी लाजवाब होगी।
(सचिव, सामाजिक शैक्षणिक, सांस्कृतिक संस्था, वाराणसी)

No comments:

Post a Comment

Popular Posts