देशद्रोह कानून का विधि आयोग ने किया समर्थन

 कहा- दुरुपयोग रोकने को सुरक्षा उपायों के साथ बनाए रखा जाना चाहिए
नयी दिल्ली (एजेंसी)।
विधि आयोग ने राजद्रोह के अपराध संबंधी दंडात्मक प्रावधान का समर्थन करते हुए कहा है कि इसे पूरी तरह से निरस्त करने से देश की सुरक्षा और अखंडता पर गंभीर प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है।
भारतीय दंड संहिता की राजद्रोह संबंधी धारा 124ए मई, 2022 में जारी सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के बाद से स्थगित है। आयोग ने कहा कि केवल इस आधार पर यह प्रावधान निरस्त कर देने का मतलब भारत में मौजूद भयावह जमीनी हकीकत से आंखें मूंद लेना होगा कि कुछ देशों ने ऐसा किया है। उसने कहा कि इसका दुरुपयोग रोकने के लिए आवश्यक कुछ कदम उठाकर इस प्रावधान को बरकरार रखा जा सकता है।
22वें विधि आयोग के अध्यक्ष जस्टिस ऋतुराज अवस्थी (सेवानिवृत्त) ने विधि मंत्री अर्जुन राम मेघवाल को प्रावरण पत्र में लिखा, ‘‘इस संदर्भ में, वैकल्पिक रूप से यह भी सुझाव दिया गया है कि आपराधिक दंड प्रक्रिया संहिता, 1973 (सीआरपीसी) की धारा 196(3) की तरह एक प्रावधान को सीआरपीसी की धारा 154 में नियम के रूप में शामिल किया जा सकता है, जो आईपीसी की धारा 124 ए के तहत प्राथमिकी दर्ज कराए जाने से पहले आवश्यक प्रक्रियात्मक सुरक्षा प्रदान करे।

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