सुभारती लॉ कॉलेज में राष्ट्रीय सेमिनार का आयोजन

मेरठ। स्वामी विवेकानन्द सुभारती विश्वविद्यालय के सरदार पटेल सुभारती लॉ कॉलेज द्वारा जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के सहयोग से भारत में नवीन श्रम कानूनों पर एक दिवसीय राष्ट्रीय सेमिनार का आयोजन किया गया।

सेमिनार सुभारती लॉ कॉलेज के निदेशक राजेश चन्द्रा पूर्व न्यायमूर्ति इलाहाबाद उच्च न्यायालय के दिशा निर्देशन तथा प्रो. डॉ. वैभव गोयल भारतीय संकायाध्यक्ष सुभारती विधि संस्थान के मार्गदर्शन में किया गया।कार्यक्रम का शुभारंभ जस्टिस वीरेन्द्र त्यागी, पीठासीन अधिकारी औद्योगिक ट्रिब्यूनल, मेरठ व सहारनपुर मंडल, न्यायमूर्ति राजेश चन्द्रा पूर्व न्यायमूर्ति निदेशक लॉ कॉलेज, डॉ. डी. पी. सेमवाल, पूर्व आयकर कमिश्नर वित्त मंत्रालय, भारत सरकार, श्री विनोद शर्मा, सिविल जज सी.डी. सचिव, जिला विधिक सेवा प्राधिकरण, मेरठ, प्रो. डॉ. असद मलिक, विधि संकाय, जामिया मिलिया इस्लामिया केन्द्रीय विश्वविद्यालय, नई दिल्ली, श्री अनूप कुमार वासने संयुक्त सचिव विधि एवं न्याय मंत्रालय भारत सरकार, कुलपति डॉ. जी.के.थपलियाल तथा प्रो. डॉ. वैभव गोयल भारतीय ने दीप प्रज्जवलित कर किया। 

कार्यक्रमों के मुख्य वक्ता के तौर पर प्रो. असद मलिक ने G-20 के सन्दर्भ में भारतीय संविधान की प्रस्तावना तथा अनुच्छेद 21-42 तक भारत के आर्थिक एवं सामाजिक तौर पर पिछड़े वर्ग के लिए बताये गये विभिन्न अधिकार जैसे कि जीवन जीने का अधिकार, काम करने का अधिकार, मातृत्व लाभ, प्रवासी मजदूरों के अधिकार आदि के विषय में बताते हुए कहा कि वर्तमान सरकार का ध्येय इन संहिताओ को लागू करने के पीछे श्रमेव जयते की प्रबल भावना है। 

जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के सचिव विनोद शर्मा  ने बताया कि सन् 2002 में लेवर कमीशन द्वारा अपनी रिपोर्ट केन्द्र सरकार को दी गई थी जिसके 18 साल बाद ये 04 नये कानून अस्तित्व में आये। इसके अलावा उन्होंने बताया कि मात्र अकेले मेरठ में ही 12 लाख ई-श्रम कार्ड बने है। साथ ही उन्होंने बताया कि ईंट भट्टों पर काम करने वाले ज्यादातर मजदूर प्रवासी है। उनके लिए श्रम कानून किस प्रकार लाभकारी होगा यह सोचनीय विषय है। इसके अलावा उन्होंने मेरठ शहर के विभिन्न चौराहों पर भीख-माँगने वाले बच्चों या बच्चे को गोद में लेकर भीख माँगने वाली महिलाओं के लिए कानून बनाने वाले क्या कर रहे है, इस पर कटाक्ष किया।

डी.पी. सेमवाल ने कहा कि सबसे पहले यह सोचना होगा कि इन 29 अधिनियमों को मात्र 4 संहिताओं में एकत्र करने के पीछे क्या कारण मुख्य रूप से रहा। किस प्रकार इन कानूनों को लागू किया जाएगा, किस प्रकार इन कानूनों के उल्लंघन कर दण्ड या जुर्माना का प्रावधान होगा आदि चुनौतियां भविष्य में सामने आयेगी।

कार्यक्रम के मुख्य अतिथि जस्टिस वी. के. त्यागी ने विभिन्न प्रचलित अधिनियमों के विषय में बताते हुआ कहा कि अब औद्योगिक विवाद की श्रेणी में मीडिया कर्मचारी भी आ आते है। औद्योगिक विवाद नियम 1957, केन्द्रीय औद्योगिक अधिनियम 1947, कर्मचारी प्रतिकार अधिनियम 1923, न्यूनतम वेतन अधिनियम, आदि के विषय में बताते हुए कहा कि केन्द्र सरकार द्वारा नियन्त्रित विभिन्न औद्योगिक संस्थानों जैसे कि रेलवे एयर इंडिया, एल.आई.सी., यू.टी.आई आदि के लिए उपयुक्त सरकार केन्द्र सरकार जबकि अन्य के लिए राज्य सरकार उपयुक्त सरकार है।  इसके अतिरिक्त उन्होंने विभिन्न न्याय निर्णयों जैसे कि यूनियन बैंक ऑफ इण्डिया बनाम मुजाहिद कासिम, नैच्युरल गैस कॉर्पोरेशन बनाम मैसर्स डिस्कवरी इण्टर प्राईसिस, भारत हैवी इलैक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड बनाम, महेन्द्र प्रकाश जगमूडा के वादों का हवाला देते हुए बताया कि भले ही कर्मचारी ने 240 दिन काम किया है लेकिन यदि वह स्थायी कर्मचारी नहीं है तो वह समान कार्ये के लिए समान वेतन एवं अन्य सुविधाऐ प्राप्त करने का अधिकारी नहीं है।

कुलपति मेजर जनरल डॉ. जी.के.थपलियाल ने सुभारती विश्वविद्यालय के कौर वैल्यूस के विषय में बात करते हुए विद्यार्थियों से कहा कि यदि भारत को पाँच ट्रिलियन अर्थव्यवस्था बनना है तो उसके लिए भारत की युवा शक्ति को भारत के औद्योगिक संस्थानो  के विकास के लिए पूरी तत्परता से काम करना होगा। 

 प्रो. डॉ. वैभव गोयल भारतीय ने कहा कि विद्यार्थियों के लिए यह एक शोध का विषय है कि क्या मेरठ में 12 लाख ई-श्रम कार्ड धारक वास्तव में मजदूर या कामगार की श्रेणी में आते है, कहीं ऐसा तो नहीं कि इसमें कृषि क्षेत्र के कामगार भी शामिल है। यदि हम वास्तव में देखे तो मात्र 35 % मजदूर वर्ग है। उनकी सामाजिक सुरक्षा के लिए सतत विकास उद्देश्यों का लक्ष्य 2030 तक प्राप्त कर लेना का है।कार्यक्रम का तकनीकी सत्र प्रो. डॉ. रीना बिश्नोई एवं शालिनी गोयल की पीठ द्वारा 20 से ज्यादा शोध पत्र एवं आलेखों को सुना गया।  

सेमिनार के संयोजक डॉ. प्रेमचन्द्रा ने बताया कि इस राष्ट्रीय सेमिनार में उत्तर प्रदेश, तमिलनाडू, कर्नाटक, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, गोवा राज्यों तथा दिल्ली तथा अण्डमान केन्द्र शासित प्रदेशो के 40 से ज्यादा शोधार्थियों तथा विद्यार्थियों द्वारा शोध-पत्र तथा शोध लेख प्रस्तुत किए गए। सेमिनार का संचालन पलक त्यागी तथा परमजीत सिंह हुड्डा ने किया।कार्यक्रम में डॉ. सारिका त्यागी, आफरीन अल्मास, एना सिसौदिया, विकास त्यागी, अजयराज सिंह, मयंक शर्मा आदि शिक्षक शिक्षकाऐं तथा विद्यार्थी उपस्थित रहें।

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