महिला शक्ति तब है जब हमारे निर्णय को सम्मान मिले - प्रो वाई  विमला 

महिला सशक्तिकरण आजादी से अब तक एक दिवसीय सेमिनार का आयोजन 

मेरठ । शहीद मंगल पांडे राजकीय महिला स्नातकोत्तर महाविद्यालय मेरठ एवं भारतीय प्रज्ञान परिषद प्रज्ञा प्रवाह मेरठ प्रांत व कमला देवी विद्यापीठ मेरठ के संयुक्त तत्वावधान में एक दिवसीय राष्ट्रीय सेमिनार का आयोजन किया गया जिसका विषय "महिला सशक्तिकरण आजादी से अब तक (1997 से 2023 तक)"था । इस सेमिनार के मुख्य संरक्षक प्रोफेसर ब्रह्मदेव निदेशक उच्च शिक्षा ,उत्तर प्रदेश प्रयागराज तथा संरक्षक प्रोफेसर डॉ अंजू सिंह प्राचार्य शहीद मंगल पांडे राजकीय महिला स्नातकोत्तर महाविद्यालय मेरठ संयोजक प्रोफेसर लता कुमार विभाग, अध्यक्ष- समाजशास्त्र विभाग एवं समन्वयक आइक्यूएसी तथा आयोजन सचिव  प्रोफेसर अनीता गोस्वामी विभागाध्यक्ष इतिहास विभाग एवं नोडल अधिकारी आजादी का अमृत महोत्सव रहे।
 राष्ट्रीय सेमिनार ऑनलाइन तथा ऑफलाइन दोनों माध्यम से हाइब्रिड मोड पर संचालित किया गया । कार्यक्रम का उद्घाटन महाविद्यालय की प्राचार्य प्रोफेसर डॉ अंजू सिंह की अध्यक्षता में किया गया उन्होंने कहा कि आज की नारी वर्तमान की दुर्गा मां है जो हर क्षेत्र में सर्वश्रेष्ठ कार्य कर प्रतिमान स्थापित कर रही है। संगोष्ठी के संयोजक प्रोफेसर लता कुमार ने पृष्ठभूमि व रूपरेखा प्रस्तुत करते हुए कहा कि आजादी के समय महिला शिक्षा का प्रतिशत 9% था जो आज 77% हो गया है। जो महिला सशक्तिकरण की ओर एक महत्वपूर्ण कदम है।
बीज वक्तव्य देते हुए सेमिनार की मुख्य वक्ता प्रोफेसर वाई विमला, विभागाध्यक्ष वनस्पति विज्ञान विभाग चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय मेरठ ने कहा कि महिला शक्ति तब है जब हमारे निर्णय को सम्मान मिले । लैंगिक भेद के कारण हमें भिन्न न माना जाए महिला में अलग से सशक्तिकरण की आवश्यकता नहीं होती जब तक वह स्वयं को कम ना मान ले।
कार्यक्रम की मुख्य  अतिथि राखी त्यागी, सदस्य राज्य महिला आयोग उत्तर प्रदेश ने स्वाभाविक चर्चा के माध्यम से महिलाओं की व्यक्तिगत समस्या समर्थन व सशक्त ता पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा सही सूझबूझ से महिला परिवार संस्था के साथ देश को भी सही प्रकार से चला सकती है।उद्घाटन सत्र में धन्यवाद ज्ञापन डॉ आर सी सिंह द्वारा किया गया । आयोजन व संचालन प्रोफेसर अनीता गोस्वामी द्वारा किया गया। रिपोर्टिंग डॉक्टर शबीना परवीन द्वारा की गई।

 तकनीकी सत्र प्रथम व द्वितीय की संयोजक प्रोफेसर सुधारानी सिंह तथा सह संयोजक प्रोफेसर मंजू रानी रहीं। इस सत्र की अध्यक्षता प्रोफेसर भारती दीक्षित ने की। अतिथि वक्ता डॉ मनीषा त्यागी, असिस्टेंट प्रोफेसर बौद्ध स्टडी सेंटर सुभारती विश्वविद्यालय, मेरठ ने अपने वक्तव्य में कहा नई पीढ़ी में "बेटी बचाओ- बेटी पढ़ाओ " नारे में "बेटों को संस्कारी बनाओ "भी बढ़ा देना चाहिए ।

विशिष्ट वक्ता डॉक्टर सोनम राजकीय महाविद्यालय बादलपुर रही उन्होंने अपने उद्बोधन में  महिला सशक्तिकरण हेतु विभिन्न क्षेत्रों में आजादी से अब तक किए गए प्रयासों का उल्लेख किया। सत्र की रिपोर्टिंग डॉ मुनेश कुमार द्वारा की गई।
विशेषज्ञ सत्र का आयोजन ऑनलाइन माध्यम से किया गया जिसकी अध्यक्षता प्रोफेसर रश्मि जैन, निदेशक- यूजीसी सेंटर एस०एस० ई० आई० पी ०यू ०आर०, जयपुर ने की ।
 इस सत्र की मुख्य वक्ता प्रोफेसर आभा चौहान (अध्यक्ष इंडियन सोशियोलॉजिकल सोसाइटी एवं विभागाध्यक्ष समाजशास्त्र विभाग जम्मू विश्वविद्यालय )ने महिला सशक्तिकरण के बहुआयामी पक्षों पर प्रकाश डाला तथा कहा कि समाज की सोच में परिवर्तन से ही महिलाएं सशक्त बनेंगी। विशिष्ट वक्ता प्रोफेसर मीनाक्षी स्वामी समाजशास्त्र, राजकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय इंदौर मध्य प्रदेश ने  कहा कि महिलाओं की कानूनी स्थिति व व्यवहारिक स्थिति में बहुत अंतर है । उन्होंने कहा कि कोई लड़ाई केवल स्त्री या पुरुष की व्यक्तिगत नहीं होती इसके लिए पूरे समाज को एकजुट होना जरूरी है। अतिथि वक्ता डॉक्टर सुचित्रा शर्मा समाजशास्त्र विभाग राजकीय वी.वाय.टी. ऑटोनॉमस कॉलेज दुर्ग ने कहां कि लैंगिक संवेदनशीलता ही महिला सशक्तिकरण का प्रथम पायदान है जिसके लिए स्वयं की सोच में बदलाव आवश्यक है । महिलाओं को सशक्त बनाने हेतु समाज को मानसिक प्रदूषण से मुक्त करना होगा। कार्यक्रम का संयोजन व संचालन प्रोफेसर लता कुमार द्वारा किया गया तथा प्रोफेसर अनीता गोस्वामी ने सह- संयोजन किया । डॉ०अमर ज्योति द्वारा धन्यवाद ज्ञापन किया गया व रिपोर्टिंग डॉक्टर पारुल मलिक द्वारा की गई।

तकनीकी सत्र तृतीय व चतुर्थ कार्यक्रम अध्यक्ष प्रोफेसर के० के० शर्मा,  इतिहास विभाग, चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय मेरठ ने भारतीय संस्कृति पर प्रकाश डालते हुए कहा कि आज की महिला किसी से किसी भी स्तर पर निम्न नहीं हैं।
मुख्य वक्ता डॉ शल्या राज,( सीईओ सुभारती ग्रुप  एवं निदेशक लोकप्रिय हॉस्पिटल) ने देश के विभिन्न आंदोलनों में महिलाओं की भूमिका व महिलाओं के सम्मान की बात कही। विशिष्ट वक्ता सुश्री कनिष्का सिंह, फूड न्यूट्रिशन एवं लाइफ स्टाइल विशेषज्ञ तथा सीईओ पूर्ण पोषणम, नई दिल्ली ने महिलाओं के शारीरिक व मानसिक स्वास्थ्य पर प्रकाश डाला। सत्र का संयोजन प्रोफेसर गीता चौधरी द्वारा किया गया तथा सह संयोजक डॉ भारती शर्मा ने किया धन्यवाद ज्ञापन डॉ गौरी द्वारा किया गया एवं रिपोर्टिंग डॉक्टर शबीना परवीन ने की।
 समापन सत्र का आयोजन ऑनलाइन माध्यम से किया गया जिसकी अध्यक्षता महाविद्यालय की प्राचार्य प्रोफेसर डॉ अंजू सिंह ने की।
मुख्य अतिथि प्रोफेसर शीला टावरी, प्रांत शोध समन्वयक भारतीय प्रज्ञान परिषद रहीं। मुख्य वक्ता प्रोफेसर राजेश मिश्रा, भूतपूर्व विभागाध्यक्ष एवं प्रोफेसर समाजशास्त्र विभाग लखनऊ विश्वविद्यालय लखनऊ रहे।गेस्ट ऑफ ऑनर प्रोफेसर राजीव कुमार गुप्ता क्षेत्रीय उच्च शिक्षा अधिकारी मेरठ सहारनपुर मंडल ने  अपने ओजस्वी वक्तव्य में महिला सशक्तिकरण के विभिन्न पक्षों को प्रस्तुत किया। बाल संरक्षण आयोग के पूर्व अध्यक्ष व समाजशास्त्री प्रो. विशेष गुप्ता ने भी विशेषज्ञ व्याख्यान प्रस्तुत किया। कार्यक्रम का संयोजन व संचालन प्रोफेसर लता कुमार द्वारा किया गया तथा आख्या वाचन प्रोफेसर अनीता गोस्वामी ने की । अंत में धन्यवाद ज्ञापन प्रोफेसर स्वर्णलता कदम द्वारा दिया गया और इस सत्र की रिपोर्टिंग डॉक्टर पूनम भंडारी ने की। सेमिनार में डॉ वैभव शर्मा , डॉक्टर गौरी डॉ भारती शर्मा तथा डॉक्टर राजकुमार सिंह द्वारा तकनीकी संचालन  किया गया। कार्यक्रम में राष्ट्र के विभिन्न महाविद्यालयों एवं विश्वविद्यालयों से आए प्रोफेसर, प्रतिभागियों, शोध छात्रों एवं छात्र-छात्राओं ने उत्साह पूर्वक प्रतिभाग किया तथा अपने विचार व्यक्त किए। डॉ अमर ज्योति तथा डॉ नीता सक्सेना ने महाविद्यालय स्तर पर सभी सत्रों के मीडिया प्रभार  का दायित्व निभाया।

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