“सांस” के लिए मेडिकल आफिसर और स्टाफ नर्सों को प्रशिक्षण
जिले में “निमोनिया नहीं तो बचपन सही” की थीम पर हुआ दूसरे बैच का प्रशिक्षण
टीबी की शीघ्र पहचान और उपचार से ही हो सकेगा भारत टीबी मुक्त : डीटीओ
हापुड़, 06 फरवरी, 2023। पांच वर्ष तक के बच्चों का निमोनिया से बचाव करने के लिए सांस - एसएएएनएस (सोशल अवेयरनेस एंड एक्शन टू न्यूट्रेलाइज निमोनिया सक्सेसफुली) कार्यक्रम शुरू किया गया। कार्यक्रम के तहत सप्लीमेंटेशन, टीकाकरण और हाथों की सफाई के लिए प्रेरित किया जाता है। कार्यक्रम को सफल बनाने के लिए पूरे जनपद के मेडिकल आफिसर और स्टाफ नर्सों को दो बैच बनाकर प्रशिक्षित किया गया है। सोमवार को संयुक्त जिला चिकित्सालय में दूसरे बैच को प्रशिक्षण दिया गया, पहले बैच का प्रशिक्षण 25 जनवरी, 2023 को हुआ था। सोमवार को हुए प्रशिक्षण में जिला क्षय रोग अधिकारी (डीटीओ) डा. राजेश सिंह मुख्य वक्ता और डा. सुनील गुप्ता व डा. आयुष सिंघल मास्टर ट्रेनर की भूमिका में रहे।
मुख्य वक्ता डा. राजेश सिंह ने प्रशिक्षण सत्र को संबोधित करते हुए कहा - 2025 तक टीबी मुक्त भारत का लक्ष्य हासिल करना है। यह शीघ्र पहचान और उपचार शुरू करके ही संभव है। क्षय रोग विभाग के पास उपचार की पूर्ण व्यवस्था है, लेकिन शीघ्र पहचान के लिए सभी को मिलकर प्रयास करने की जरूरत है, ओपीडी कर रहे सरकारी और निजी चिकित्सकों के अलावा इसमें आमजन का सहयोग भी अपेक्षित है। आप लोग ओपीडी में आने वाले रोगियों की टीबी स्क्रीनिंग अवश्य करें और टीबी से मिलते - जुलते लक्षण आने पर रोगी की टीबी जांच अवश्य कराएं। सभी स्वास्थ्य केंद्रों पर टीबी जांच की व्यवस्था है।
सांस कार्यक्रम के मास्टर ट्रेनर डॉ. सुनील गुप्ता ने प्रशिक्षण सत्र के दौरान छोटे बच्चों में निमोनिया के कारणों के बारे में विस्तार जानकारी देने के साथ ही बचाव के उपाय भी बताए। उन्होंने कहा निमोनिया एक गंभीर बीमारी है, जो पांच साल के बच्चों की मृत्यु का सबसे बड़ा कारण है। उन्होंने कहा “सांस” कार्यक्रम 28 फरवरी तक जारी रहेगा। कार्यक्रम का उद्देश्य पांच वर्ष तक के बच्चों में निमोनिया की शीघ्र पहचान और जागरूकता बढ़ाना है ताकि शिशु मृत्यु दर पर प्रभावी अंकुश लगाया जा सके।
प्रशिक्षण सत्र के दौरान मास्टर ट्रेनर डा. आयुष सिंघल की ओर से कार्यक्रम की कार्यप्रणाली एवं रिपोर्टिंग की जानकारी दी गयी। उन्होंने बताया - नियमित टीकाकरण, पोषण और साफ-सफाई का ध्यान रखकर निमोनिया से बचाव किया जा सकता है। स्तनपान कराने से पहले मां अपने हाथ अच्छे धोए। बच्चों के नाखून समय-समय पर काटते रहें। उनके हाथों की सफाई का ध्यान रखें। कार्यक्रम में क्षय रोग विभाग से जिला पीपीएम समन्वयक सुशील चौधरी ने टीबी के लक्षणों के बारे में विस्तार से जानकारी दी। उन्होंने कहा दो सप्ताह तक खांसी, खांसी में बलगम या खून आना, वजन कम होना, सीने में दर्द, रात में सोते समय पसीना आना और थकान रहना टीबी के लक्षण हो सकते हैं।
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