बजट से उम्मीदें

इन दिनों एक फरवरी को केंद्रीय वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा पेश किए जाने वाले आगामी वित्त वर्ष 2023-24 के बजट की ओर देश के छोटे करदाताओं और मध्यम वर्ग के लोगों की निगाहें लगी हुई हैं। उम्मीद की जा रही है कि वित्त मंत्री नये बजट के माध्यम से इस वर्ग की क्रयशक्ति बढ़ाकर मांग में वृद्धि करके अर्थव्यवस्था को गतिशील करने की रणनीति पर आगे बढ़ते हुए दिखाई दे सकती हैं। बीते दिनों एक कार्यक्रम में वित्तमंत्री ने कहा था कि मैं भी मध्यम वर्ग से ताल्लुक रखती हूं, इसलिए मध्यम वर्ग के दबाव को समझ सकती हूं। चूंकि पिछले वर्ष 2022-23 के बजट में इस वर्ग को कोई बड़ी राहत नहीं मिली थी और अब महामारी के कारण दो साल की मंदी के बाद भारतीय अर्थव्यवस्था रिकवरी के रास्ते पर चल पड़ी है, साथ ही पिछली कुछ तिमाहियों में कर संग्रह में लगातार बढ़ोतरी भी देखी गई है। इसके साथ-साथ इस बार का बजट लोकसभा चुनाव 2024 के पहले का आखिरी पूर्ण बजट है। ऐसे में सरकार द्वारा आगामी बजट में टैक्स का बोझ कम करने के लिए प्रोत्साहन सुनिश्चित किए जा सकते हैं। नि:संदेह केंद्रीय बजट 2023-24 के तहत छोटे करदाताओं और मध्यम वर्ग की मुश्किलों के बीच आयकर के नये प्रारूप वाले टैक्स स्लैब के पुनः निर्धारण की आवश्यकता अनुभव की जा रही है।  जो आयकरदाता आयकर के पुराने स्लैब को अपनाए हुए हैं उनके लिए विभिन्न टैक्स छूटों में वृद्धि की जानी जरूरी है।  बढ़ती महंगाई और उच्च स्वास्थ्य व्यय के बीच विशेष रूप से घातक कोविड-19 महामारी के बाद वरिष्ठ नागरिकों को कुछ और कर राहत मिलनी चाहिए। वरिष्ठ नागरिक स्वास्थ्य बीमा के प्रीमियम की कटौती को मौजूदा 50,000 रुपये से बढ़ाकर 75,000 रुपये किया जाना उपयुक्त होगा। स्वास्थ्य बीमें को सस्ता किया जाना भी जरूरी है। इस पर 18 फीसदी जीएसटी है जिसे कम करने की जरूरत है। सार्वजनिक भविष्य निधि (पीपीएफ) में योगदान की वार्षिक सीमा को मौजूदा 1.5 लाख रुपये से बढ़ाकर 3 लाख रुपये किया जाना चाहिए। वर्ष 2023-24 के बजट में घर खरीदने के लिए लोगों को प्रोत्साहित करने के मद्देजनर सरकार को होम लोन के ब्याज पर टैक्स छूट को बढ़ाना चाहिए और होम लोन के ब्याज रीपेमेंट पर मिलने वाले बेनिफिट की लिमिट को दो लाख रुपये से बढ़ाकर चार लाख रुपये किया जाना उपयुक्त होगा। वरिष्ठ नागरिकों के एक बड़े वर्ग के पास आय का कोई अन्य नियमित स्रोत नहीं है। सामान्यतया वे अपनी छोटी बचत और उस पर अर्जित ब्याज पर निर्भर रहते हैं। ऐसे में आगामी बजट में 60 वर्ष से अधिक आयु के वरिष्ठ नागरिकों के लिए मूल आयकर छूट सीमा को 3 लाख रुपये से बढ़ाकर 5 लाख रुपये तथा 80 वर्ष से अधिक के वरिष्ठ नागरिकों को कर से छूट मुक्त राशि 7.5 लाख रुपये की जानी उपयुक्त होगी। अब उम्मीद है कि आगामी बजट में वित्तमंत्री नये टैक्स स्लैब के प्रारूप में बदलाव करके छोटे करदाताओं से नई राहत दे सकती हैं। 

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