मेरठ। स्वामी विवेकानन्द सुभारती विश्वविधालय के ललित कला संकाय के परफार्मिंग आर्टस विभाग की ओर से सुभारती ग्रुप की संस्थापिका संघमाता डा. मुक्ति भटनागर की 66 वी जयंती पर भजन संध्या कार्यक्रम के माघ्यम से सांगीतिक श्रद्धांजली अर्पित की गयी।
कार्यक्रम का शुभारंभ सुभारती विश्वविद्यालय के कुलपति मेजर जनरल डा. जी.के.थपलियाल, मुख्य कार्यकारी अधिकारी डा.शल्या राज, प्रतिकुलपति ड.अभय शंकरगौड़ा, ललित कला संकाय के प्राचार्य डा. पिंटू मिश्रा एवं परफार्मिंग आर्टस विभागाध्यक्षा डा. भावना ग्रोवर द्वारा सरस्वती वंदना के साथ किया गया।
विभागाध्यक्षा डा. भावना ग्रोवर ने संघमाता डा. मुक्ति भटनागर के विषय में सभी को बताया कि डा. मुक्ति भटनागर संगीत नृत्य व चित्रकारी की अत्यंत ज्ञाता थी। जिसका प्रमाण उनके द्वारा गाये गये लोक गीत सीडी व सजा रवि वर्मा आर्ट गैलरी मे लगी हुई उनकी पेनि्अगस है। उन्होंने संघमाता द्वारा चित्रकारी एवं संगीत के क्षेत्र में किये गए उत्कृष्ट कार्यो से सभी को रूबरू कराया।
प्राचार्य डा. पिन्टू मिश्रा ने बताया संघमाता डा. मुक्ति भटनागर का ललित कला से गहरा लगाव रहा और उन्हीं के आदर्शो को आत्मसात करते हुए सुभारती ललित कला संकाय पल्लवित हो रहा है।
विभागाध्यक्षा डा. भावना ग्रोवर ने संघमाता डा. मुक्ति भटनागर के विषय में सभी को बताया कि डा. मुक्ति भटनागर संगीत नृत्य व चित्रकारी की अत्यंत ज्ञाता थी। जिसका प्रमाण उनके द्वारा गाये गये लोक गीत सीडी व सजा रवि वर्मा आर्ट गैलरी मे लगी हुई उनकी पेनि्अगस है। उन्होंने संघमाता द्वारा चित्रकारी एवं संगीत के क्षेत्र में किये गए उत्कृष्ट कार्यो से सभी को रूबरू कराया।
प्राचार्य डा. पिन्टू मिश्रा ने बताया संघमाता डा. मुक्ति भटनागर का ललित कला से गहरा लगाव रहा और उन्हीं के आदर्शो को आत्मसात करते हुए सुभारती ललित कला संकाय पल्लवित हो रहा है।
सुप्रसिद्ध गायिका तनुश्री कश्यप ने छात्र छात्रओं के साथ मुरली मनोहर कृष्ण कन्हैया भजन द्वारा संघमाता को श्रद्धांजलि दी। इसके उपरान्त मुख्य गायक श्री मुकेष तिवारी ने राम हरे कृष्ण भजन द्वारा भजनामृत प्रारंभ किया। दूढता है तू किसका सहारा, बीत गये दिन भजन बिना रे डा. मुक्ति भटनागर जी अपने गायन द्वारा श्रद्धांजली दी।
कुलपति मेजर जनरल डा. जी.के.थपलियाल ने कहा कि संघमाता डा. मुक्ति भटनागर गतिशील एंव बहुआयामी व्यक्तित्व की धनी थी। जिसमें उन्होंने हमेशा भारतीय कला एवं संस्कृति के संरक्षण एवं प्रोत्साहन पर बल दिया। उन्हांने कहा कि सुभारती विश्वविद्यालय संघमाता के आदर्शे पर चलकर शिक्षा, सेवा, संस्कार एवं राष्ट्रीयता के मंत्र से सभी को लाभान्वित कर रहा है।
मुख्य कार्यकारी अधिकारी डा.शल्या राज ने बताया कि उनकी स्वर्गीय माता डा. मुक्ति भटनागर हमेशा रचनात्मक विचारों को प्रोत्साहित करती थी। उन्होंने बताया कि एक चिकित्सक होने के साथ ममतामयी शिक्षक, विवेकशील एवं प्रतिभावान अनुसंधान गाईड, चित्रकला, गायन एवं नृत्य में विलक्षण प्रतिभाशाली, प्रखर वक्ता व प्रेम सौहार्द की प्रतिमूर्ति के रूप में संघमाता ने सुभारती ग्रुप की स्थापना कर समाज के उत्थान हेतु कार्य किये है।
कार्यक्रम में डा. विनीता निखिल, डा.आर.के.घई, डा.संतोष, डा. नेहा, डा. विधि खण्डेलवाल, सुश्री श्वेता सिंह सहित सुभारती परिवार के सदस्य उपस्थित रहे।
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