जाति प्रथा को उखाड़ना जरूरी
हाल ही में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत ने भारतीय समाज से यह अपील की है कि जाति प्रथा के कारण समाज में विघटन और अन्य बुराइयों को दूर करने हेतु जाति प्रथा को उखाड़ फेंकने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि वर्ण और जाति को पूरी तरह से नकार दिया जाना चाहिए क्योंकि आज इस व्यवस्था की कोई प्रासंगिकता नहीं बची है। उन्होंने यह कहा कि सामाजिक समानता भारतीय परंपराओं का हिस्सा रही है, लेकिन अब इस विशेषता को भुला दिया गया है जिसके हानिकारक परिणाम निकल रहे हैं। प्रारंभ में वर्ण और जाति व्यवस्था के अंतर्गत भेदभाव नहीं होता था, और इस व्यवस्था का लाभ था। लेकिन अब यह मात्र एक इतिहास बन कर रह गया है। जाति प्रथा के कारण आई बुराइयों के बारे में उन्होंने कहा कि पिछली पीढिय़ों ने कुछ गलतियां की हैं और भारत भी उसमें अपवाद नहीं है, लेकिन आज जो भी व्यवस्था समाज में भेदभाव का कारण बने, उसे जड़ से उखाड़ फेंकने की जरूरत है। संघ प्रमुख की इस अपील के बारे में मिश्रित प्रतिक्रिया हुई है। अधिकांशत: लोगों ने इसका स्वागत किया है। लेकिन कुछ लोग इसके राजनीतिक निहितार्थ लगाने की कोशिश कर रहे हैं, जैसे कुछ लोग कह रहे हैं कि समाज में बढ़ रही विघटनकारी परिस्थितियों से ध्यान हटाने की कोशिश हो रही है। लेकिन इतिहास गवाह है कि हर बार हमारे बीच की फूट का लाभ विदेशी आक्रांता लगातार उठाते गए और अन्य देशों से आए आक्रांताओं ने इस देश में न केवल भारी मात्रा में लूट-खसोट की, बल्कि एक लंबे समय तक अपना शासन भी स्थापित करने में वे सफल हो सके। अंग्रेजों ने भारतीय समाज की इन विविधताओं को एक हथियार के रूप में इस्तेमाल किया। उन्होंने तरह-तरह के सर्वेक्षण कराकर इन विविधताओं को और अधिक उजागर किया और लोगों को एक-दूसरे के खिलाफ भडक़ाने का काम किया। अंग्रेज शासन के दौरान ऐसे कई उदाहरण मिलते हैं जिसमें उन्होंने विभिन्न जातियों एवं वर्गों को एक-दूसरे के खिलाफ भडक़ा कर उनमें शत्रुता का भाव जागृत किया। संघ प्रमुख के इस वक्तव्य का संपूर्ण समाज में एक अच्छा संकेत जा रहा है। यह सही है कि अभी भी कुछ राजनीतिक दल भाषा-प्रांत, जात-बिरादरी, पूजा पद्धति आदि के आधार पर समाज में भेद उत्पन्न करते हुए अपनी राजनीतिक रोटियां सेंकने का काम करते हैं, समाज में स्वच्छ विकास एवं देश को आर्थिक दृष्टि से उन्नत बनाने के लिए इन सभी भेदों को जड़ से मिटाने का समय आ गया है। इससे राजनीति में भी स्वच्छता आएगी और देश का आर्थिक विकास भी तेजी से हो सकेगा।

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