प्रदूषण संकट पर न हो राजनीति
नोएडा के बाद दिल्ली के भी स्कूलों को बंद करने का फरमान हो गया है। साथ ही ऑड-ईवन प्रणाली भी लागू किए जाने की आशंका जताई जा रही है। दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल ने शुक्रवार को स्कूलों को बंद करने संबंधी ऐलान किया। दरअसल, दिल्ली व राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र समेत कई राज्यों में प्रदूषण से फिर लोगों का दम घुटने लगा है। दिल्ली की आबोहवा में वायु की गुणवत्ता गंभीर स्थिति में जा पहुंची। सांस व अन्य गंभीर रोगों से जूझ रहे लोगों के लिये तो यह स्थिति जहरीली है ही, आम लोगों के स्वास्थ्य पर भी इसका घातक असर पड़ रहा है। धुंध व धुएं की छायी परत से दृश्यता कम होने से सड़क दुर्घटनाओं की भी आशंका बनी रहती है। इस प्रदूषण की मूल वजह पराली जलाना बताया जा रहा है। यूं तो पराली जलाने की घटनाएं अन्य राज्यों में भी हैं लेकिन पंजाब की स्थिति चिंता बढ़ाने वाली है। विडंबना यह है कि पराली प्रबंधन के विकल्पों पर तमाम बहसों व उपायों के बावजूद कोई कारगर समाधान नहीं निकला है। छोटे-छोटे मुद्दों पर आंदोलन छेड़ने वाले किसान इस बात पर संवेदनशील नहीं हैं कि वे कैसे दूसरों के जीवन से खिलवाड़ कर रहे हैं। ऐसा भी नहीं है कि जो किसान पराली जला रहे हैं, वे अपने व परिवार के लोगों का भला कर रहे हैं। उन्हें सोचना चाहिए कि वे लोगों के जीवन से किस हद तक खिलवाड़ कर रहे हैं। मगर किसान जिद व तल्खी के साथ पराली जला रहे हैं। विडंबना देखिये कि अमेरिका में बैठे नासा के वैज्ञानिक बता रहे हैं कि किस बड़े पैमाने पर खेतों में आग जल रही है। मगर पास के राजनेताओं को यह नजर नहीं आता। वे अपने क्षुद्र राजनीतिक हितों के लिये पराली जलाने वालों को संरक्षण दे रहे हैं। विडंबना ये है कि किसान जानते हैं कि उनका कुछ नहीं बिगड़ेगा। वे बड़ा वोट बैंक हैं। राजनेता उन्हें छुड़ाने आ जायेंगे। वहीं पराली की आग रोकने में लगे कृषि अधिकारियों की जान सांसत में फंसी है। उन्हें पराली जलाने वालों द्वारा बंधक बनाने की खबरें आ रही हैं। वहीं दूसरी ओर पंजाब में पराली जलाना न रोक पाने का ठीकरा उनके सिर फोड़ा जा रहा है, कई अधिकारी निलंबित किये गये हैं।पंजाब में इस साल पराली जलाने के रिकॉर्ड टूट रहे हैं। बीते माह तक राज्य में पराली जलाने के 18 हजार मामले सामने आये हैं जबकि सिर्फ 2700 किसानों पर पराली जलाने पर जुर्माना हुआ है। इसके बावजूद पंजाब सरकार का इस वर्ष कम संख्या में पराली जलाने की घटनाओं का दावा है। वहीं दूसरी ओर हरियाणा में इस वर्ष पराली जलाने की घटनाओं में खासी कमी आई है। सरकार का दावा है कि अक्तूबर माह के अंत तक पराली जलाने के 1925 मामले सामने आए। हरियाणा सरकार ने किसानों को पराली जलाने से रोकने के लिये प्रति कुंतल धान पर सौ रुपये की प्रोत्साहन राशि दी है। निस्संदेह, यदि सरकारें इस दिशा में गंभीर प्रयास करें और किसानों को सरल विकल्प व प्रोत्साहन राशि दें तो लाखों लोगों की जीवन डोर बचायी जा सकती है।

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