डीएवी मेरठ में काव्य निर्झर में बिखरे अभिव्यक्ति के रंग
हिंदी पखवाड़ा के अंतर्गत बाल कवि सम्मेलन का आयोजन
मेरठ। डी.ए.वी. सेंटेनरी पब्लिक स्कूल, शास्त्री नगर के प्रांगण में हिंदी पखवाड़ा के अंतर्गत बाल कवि सम्मेलन का आयोजन पूर्ण गरिमा और उत्साह के साथ किया गया। बाल कवि सम्मेलन में राष्ट्रीय कवि सुमनेश सुमन मुख्य अतिथि तथा राष्ट्रीय कवयित्री तुषा शर्मा ने विशिष्ट अतिथि के रूप में उपस्थित होकर कार्यक्रम की शोभा में चार चाँद लगा दिए।कार्यक्रम का शुभारंभ दीप प्रज्वलन के द्वारा हुआ। तत्पश्चात प्रधानाचार्या डॉ. अल्पना शर्मा ने मानव जीवन में नवीन संचार, उत्साह और उत्तम स्वास्थ्य प्रदान करने वाला पौधा, शॉल और स्मृति चिह्न देकर अतिथियों का अभिनंदन किया।
विद्यालय के बाल कवियों ने काव्यगत संपूर्ण आरोह-अवरोहों को ध्यान में रखते हुए अपने भावों की काव्यगत अभिव्यक्ति की। कार्यक्रम की प्रेरक डॉ. मंजु तिवारी ने हिंदी की महिमा गान कर कवि सम्मेलन की काव्य यात्रा को प्रारंभ किया। बाल कवियों ने हिंदी साहित्य के विशिष्ट कवियों की कविताओं का काव्य पाठ उन्हीं के अंदाज में किया। विद्यालय का मंच तुलसीदास, कबीरदास, रामधारी सिंह दिनकर, नागार्जुन, नीरज, सोहनलाल द्विवेदी, हरिवंशराय बच्चन, काका हाथरसी, हुल्लड़ मुरादाबादी, हरिओम पंवार, कुमार विश्वास जैसे उत्कृष्ट कवियों की रचनाओं से शोभायमान हो रहा था।
कार्यक्रम को ओजस्विनी, रिद्धिका, लावण्या, दीया, नमन, अश्विनी, परी, कृतिका, मुदित, ईशा, अंजलि, कार्तिक अरोड़ा, चैतन्य पांडे, शशांक भट्ट, आरुषि आही, अवनि चौहान, अपेक्षा, यथार्थ, कार्तिक शर्मा ने कविताओं की मनमोहक प्रस्तुती से जीवंत बना दिया। नागार्जुन की 'कालिदास सच-सच बतलाना, इंदुमती के मृत शोक से अज रोया या तुम रोएÓ, हरिओम पँवार की 'लाखों बच्चे ऐसे हैं, जिन्होंने दूध देखा ही नहींÓ, कुमार विश्वास की 'मोहब्बत एक अहसासों की पावन कहानी है दिनकर की 'हा हा दुर्योधन बाँध मुझेÓ आदि पंक्तियों ने श्रोताओं को भावविभोर कर तालियाँ बजाने पर विवश कर दिया। बच्चों का उत्साह देखते ही बनता था, चाहे वह कर्ण संवाद के रूप में हों या हँसी के गोलगप्पों या शृंगार की मधुछाया के रूप में। राष्ट्रीय कवि सुमनेश सुमन और राष्ट्रीय कवयित्री तुषा शर्मा ने मंच से अपनी श्रेष्ठ कविताओं का गायन कर कार्यक्रम में चार चाँद लगा दिए। विद्यार्थी भी मातृभाषा हिंदी की अनुपम छटा को देखकर आत्मविभोर हो झूम उठे।
प्रधानाचार्या डॉ. अल्पना शर्मा ने अतिथियों का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि कविता भावों की अभिव्यक्ति, जीवन का आधार, नवीन उर्जा का स्रोत है। उन्होंने सभी बाल कवियों की हृदय से प्रशंसा करते हुए उन्हें अपनी इस भावमयी यात्रा को निरंतर बनाए रखने की प्रेरणा देते हुए आशीर्वाद प्रदान किया।
No comments:
Post a Comment