चीता संरक्षण के लिए छात्र छात्राओं को किया जागरूक


एमआईटी में चीता संरक्षण पर पोस्टर प्रतियोगिता और गोष्ठी का आयोजन

चीते की कम होती संख्या को चिंताजनक: उप प्रभागीय वन अधिकारी सुभाष चौधरी

मेरठ। भारत में चीता के पुनर्वास स्थापित करने के सम्बन्ध में परतापुर बाईपास स्थित मेरठ इंस्टिट्यूट ऑफ़ टेक्नोलॉजी में "चीता संरक्षण" विषय पर पोस्टर प्रतियोगिता और गोष्ठी का आयोजन किया। यह कार्यक्रम पर्यावरण एवं स्वच्छता क्लब के सहयोग हुआ। कार्यक्रम का शुभारंभ मुख्य अतिथि उप प्रभागीय वन अधिकारी सुभाष चौधरी, पर्यावरण एवं स्वच्छता क्लब के निदेशक आयुष गोयल, पीयूष गोयल और प्राचार्य डॉ हिमांशु शर्मा ने दीप प्रज्वलित कर किया। पोस्टर प्रतियोगिता में प्रथम स्थान बीबीए से शिवा त्यागी, दूसरा स्थान बीएससी एग्रीकल्चर से हर्ष कंसल और तीसरा स्थान बीबीए से दिव्या रानी ने प्राप्त किया। सभी विजेता छात्र-छात्राओं को प्रमाण पत्र एवं टॉफी देकर सम्मानित किया।
छात्र छात्राओं को सम्बोधित करते हुए उप प्रभागीय वन अधिकारी सुभाष चौधरी ने कहा कि हमारे देश मे चीता प्रजाति बहुत ही कम पाई जाती है। इन्होंने बच्चो को बताया कि हमारे देश मे नामीबिया से आठ अफ्रीकी चीतों को एक विशेष विमान से लाया जा रहा है। यह जल्दी ही भारत आ जायेगे। इन्होंने चीतों के बारे में पूरी तरह से जानकारी दी। कहा कि चीता की संख्या भारत में 1952 से कम हो रही है, जो चिंता का विषय है। साथ ही पर्यावरण भी असंतुलित हो रहा है। "प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के जन्मदिन पर देश में करीब 70 साल बाद एक बार फिर से चीते दिखाई देंगे। पीएम की उपस्थिति में 17 सितंबर को मध्य प्रदेश के कूनो नेशनल पार्क में 8 चीते छोड़े जाएंगे। ये चीते नामीबिया से भारत लाए जाएंगे। जो जीता संरक्षण के प्रयोग में एक बड़ा योगदान सिद्ध होगा।"
क्लब निदेशक आयुष गोयल पीयूष गोयल ने बताया की 1952 में चीतों को विलुप्त प्रजाति घोषित कर दिया गया था। वनों की अवैध कटान से चीते धीरे-धीरे विलुप्त हो रहे हैं जो चिंता का विषय हैं। चीते हमारी संस्कृतिक धरोहर है, हम सभी को जंगली जानवरों और प्राकृतिक संसाधनों के संरक्षण के लिए जागरूक होना होगा। इस दौरान विद्यार्थियों ने वनों को समृद्ध बनाए रखने के लिए चीता समेत अन्य पशु-पक्षियों को संरक्षित रखने का संकल्प लिया।
कार्यक्रम में डीन एकेडमिक डॉ मधुबाला शर्मा, मीडिया मैनेजर अजय चौधरी, डॉ हेमा नेगी, डॉ सीमा चौधरी, डॉ तान्या शर्मा और डॉ प्रीति शर्मा का योगदान रहा। कार्यक्रम का संचालन आरजे तन्वी ने किया।

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