लक्ष्य पर बनाएं एकाग्रता

- जगदीश सिंह दीक्षित
जीवन में जो भी आपने लक्ष्य आगे बढ़ने के लिए निर्धारित किया है उसे हासिल करने के लिए एकाग्र चित्त होकर कड़ी मेहनत करना चाहिए। इसके लिए आपको दूरदृष्टि और पक्का इरादा भी रखने की जरूरत होती है।अपने अंदर कभी भी नकारात्मक भाव पैदा ही नहीं होने दें। जब भी आप सकारात्मक सोच और आनंदित होकर प्रयास करेंगे तो निश्चित रूप से सफलता आपके कदम चूमेगी।                                
लेकिन कोई आवश्यक नहीं है कि आपको एक ही प्रयास में आपके लक्ष्य की प्राप्ति हो जाय। अक्सर देखा जाता है कि कुछ लोग जब एक -दो प्रयास में अपने लक्ष्य की प्राप्ति नहीं कर पाते हैं तब वे निराश होने लगते हैं। आप जानकर हैरान होंगे कि कुछ खिलाड़ी अपने अन्तिम प्रयास में जाकर अपने लक्ष्य को प्राप्त कर लेते हैं। इसी तरह जो लोग भी प्रतियोगी परीक्षाओं के लिये तैयारी में लगे रहते हैं वे सभी अपना एक प्रतियोगी छात्रों के साथ मिलकर समूह बना लेते हैं। फिर आपस में बातचीत करने के बाद जहां उनकी तैयारी में कमी रहती है उसे दूर करते हैं। आजकल तो मोबाइल युग है। गूगल के सहारे भी काफी जानकारी मिल जाती है।    


        
आजकल यह भी देखा जा रहा है कि युवा और युवतियां बहुत ही जल्दी निराश होकर या तो अवसाद की स्थिति में चले जा रहे हैं या फिर निराश होकर आगे ही नही बढते हैं। लेकिन जब भी ऐसी स्थिति आपके अंदर उत्पन्न हो आप उससे शीघ्र छुटकारा पाने का प्रयास करें। उससे कहें कि-ना बाबा तेरे लिये कोई भी जगह मेरे यहां नहीं है। आप उसे ऐसे फटकार कर भगा दीजिये जैसे आप कपड़ा धोकर और उसका पानी निचोड़कर पसारने के लिए फटकारते हैं। वह आप के पास निराशा कभी भी फटकेगी ही नहीं। देखिये यह जो निराशा शब्द है न -इसमें आशा शब्द भी जुड़ा हुआ है। इसलिये केवल और केवल आशा को ही  अपने मन- मस्तिष्क में रहने दें। निरंतर प्रयास करते रहिये।इस मन्त्र के साथ-चरैवेति-चरैवेति ।

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