विभाजन का दंश झेलने के बाद भारत में खड़ा किया खेल कारोबार

 आजीविका के लिए चाय बेची और साइकिल में पंचर तक लगाया

मेरठ। विभाजन की त्रासदी झेलकर पाकिस्तान में अपना सब कुछ गंवाकर लाखों लोग भारत आए। अपनी जन्मभूमि से बिछड़ने के बाद इन लोगों ने संघर्ष, मेहनत और अपनी जीवटता से भारत में एक मुकाम हासिल किया।

पाकिस्तान के पंजाब प्रांत के सरगोदा में अपनी जमीन-जायदाद छोड़कर भारत आये हरनाम दास ने आजीविका के लिए चाय बेची और साइकिल में पंचर तक लगाया। आज इनके परिजनों ने मेरठ में खेल का बड़ा कारोबार स्थापित कर दिया है।मेरठ के कॉक्सटोंस स्पोर्ट्स इक्विपमेंट प्राइवेट लिमिटेड के निदेशक विनीत डावर की आंखें आज भी विभाजन की विभीषिका से उपजे अपने संघर्ष के दिनों को याद करके डबडबा जाती हैं। उनके दादा हरनाम दास पाकिस्तान के पंजाब प्रांत के सरगोदा में रहते थे। विनीत बताते हैं कि सरगोदा में उनकी काफी जमीन-जायदाद थी। विभाजन के बाद उनके दादा को अपना घर-बार छोड़कर भागना पड़ा।

रेलवे स्टेशन पर ही किया गया दादा का विवाह

विनीत बताते हैं कि विभाजन के समय पाकिस्तान में हिन्दुओं का कत्ले-आम हो रहा था और लोग घर छोड़कर भाग रहे थे। लाखों लोग घर से बेघर हो गए। पाकिस्तान में उस समय हिन्दू बेटियों को सरेआम उठाकर ले जाया जा रहा था। उनके दादा का रेलवे स्टेशन पर ही विवाह कर दिया गया, क्योंकि मुस्लिमों द्वारा अविवाहित हिन्दू लड़कियों को ही बलात उठाकर ले जाया जा रहा था। इससे बचने के लिए उनके दादा का विवाह रेलवे स्टेशन पर ही एक लड़की वेद कुमारी के साथ कर किया गया। पाकिस्तान से किसी तरह से जान बचाकर लौटने के बाद उनके दादा कुछ समय तक अंबाला में रुके।

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