सामुदायिक स्वास्थ्य अधिकारियों के दूसरे बैच को भी दिया गया टीबी प्रशिक्षण
- एसीएमओ डा. प्रवीण शर्मा ने की प्रशिक्षण कार्यक्रम की अध्यक्षता
- बोले, जरा सा भी संदेह होने पर टीबी जांच जरूर कराएं सीएचओ
हापुड़, 08 अगस्त, 2022। अपर मुख्य चिकित्सा अधिकारी डा. प्रवीण शर्मा की अध्यक्षता में सोमवार को सामुदायिक स्वास्थ्य अधिकारियों के दूसरे बैच का प्रशिक्षण कार्यक्रम संपन्न हो गया। सीएमओ कार्यालय सभागार में आयोजित प्रशिक्षण सत्र को संबोधित करते हुए डा. प्रवीण शर्मा ने कहा कि आउटरीच एरिया से कोई भी मरीज सबसे पहले अपने घर के नजदीक बने हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर पर पहुंचेगा, जहां सामुदायिक स्वास्थ्य अधिकारी को अन्य रोगों के साथ ही टीबी की भी स्क्रीनिंग करनी होगी। पहले बैच में 32 सामुदायिक स्वास्थ्य अधिकारियों का प्रशिक्षण गत शुक्रवार को संपन्न हुआ था।
एसीएमओ डा. शर्मा ने कहा यदि किसी मरीज में टीबी का एक भी लक्षण मिले तो उसकी टीबी की जांच अवश्य कराएं। कोविड की तरह अधिक जांच से ही टीबी संक्रमण भी काबू में आएगा। मरीज की पहचान होने में देर लगेगी तो इस बीच वह अपने आसपास रहने वाले अन्य लोगों को संक्रमण दे चुका होगा, जबकि समय से जांच और उपचार शुरू हो जाने के बाद इस बात का आशंका बहुत कम हो जाती है।
जिला कार्यक्रम समन्वयक (डीपीसी) दीपक शर्मा ने सामुदायिक स्वास्थ्य अधिकारियों को विस्तार से क्षय रोग के लक्षणों की जानकारी दी। उन्होंने बताया कि टीबी की जांच और उपचार पूरी तरह निशुल्क है। हमें प्रयास करना है कि अधिक से अधिक संभावित रोगियों की टीबी की जांच हो और संक्रमण की शुरुआत में भी टीबी का उपचार शुरू हो जाए। इससे जहां छह माह तक नियमित दवा खाने से क्षय रोगी पूरी तरह ठीक हो जाएगा, वहीं उसके अपने परिवारीजन और अन्य निकट संबंधी संक्रमण की चपेट में नहीं आ पाएंगे और हमें संक्रमण की चेन तोड़ने में मदद मिलेगी। उन्होंने सामुदायिक स्वास्थ्य अधिकारियों को बताया कि 2025 तक टीबी मुक्त भारत का निर्माण करने का एक ही मूल मंत्र है, अधिक से अधिक संभावित रोगियों की जांच।
प्रशिक्षण सत्र के दौरान जिला पीपीएम कोऑर्डिनेटर सुशील चौधरी ने सामुदायिक स्वास्थ्य अधिकारियों से आग्रह किया कि ओपीडी के लिए आने वाले रोगियों को सरकार की ओर उपलब्ध कराई जा रही निशुल्क जांच और उपचार सुविधा के साथ निक्षय पोषण योजना के तहत हर माह पांच सौ रुपए का भुगतान किए जाने की भी जानकारी दें। यह राशि क्षय रोगी को उपचार जारी रहने तक बेहतर पोषण के लिए उसके बैंक खाते में भेजी जाती है। आयुष्मान भारत योजना के जिला कार्यक्रम समन्वयक डा. मारूफ चौधरी ने आयुष्मान कार्ड के बारे में जानकारी दी और सामुदायिक स्वास्थ्य अधिकारियों से ओपीडी में आने वाले लाभार्थियों को कार्ड बनवाने के लिए प्रेरित करने की बात कही। आयुष्मान कार्ड सभी जनसेवा केद्रों पर निशुल्क बनाए जाते हैं।
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