सीएससी का बिजली बिल पर 60% कमीशन घटाने से रोष

कॉमन सर्विस सेंटर संचालकों का सरकार ने घटाया कमीशन

संचालक बोले पहुंचेंगे भुखमरी के कगार पर बंद होंगे सेंटर

सरधना (मेरठ) कॉमन सर्विस सेंटर यानी सीएससी से बिल जमा करने पर संचालकों का सरकार ने 60% तक कमीशन घटा दिया है। बिजली के बिल पर  कमीशन घटाकर सीएससी सेंटर संचालकों की एक तरह से कमर तोड़ दी गई है। इसे लेकर सीएससी संचालकों में भारी रोष बना हुआ है। जिसे लेकर सरकार से संचालकों ने पुनर्विचार कर कमीशन बढ़ाने की मांग रखी है। 

  गौरतलब है कि ग्रामीण क्षेत्र से लेकर शहरी क्षेत्रों तक में कॉमन सर्विस सेंटर यानी सीएससी की जन-जन तक सरकारी सुविधाओं को पहुंचाने की अहम भूमिका रही है। केंद्र सरकार व यूपी सरकार की अहम सरकारी योजनाओं का क्रियान्वयन आम जन तक पहुंचाने के लिए सरकार द्वारा कॉमन सर्विस सेंटर का गठन किया गया था। जिससे तमाम सरकारी सुविधाएं जन-जन तक पहुंचाने का कार्य किया भी जा रहा है। इन्हीं कॉमन सर्विस सेंटर से बिजली का बिल जमा करने के लिए भी पावर कारपोरेशन के लिए काफी अच्छा साबित हो रहा था। लेकिन पिछले सप्ताह सरकार ने सीएससी यानि कॉमन सर्विस सेंटर से जमा होने वाले बिजली के बिलों पर 60% कमीशन में घट कटौती करके सीएससी संचालकों की एक तरह से कमर तोड़ दी है । बिजली के बिल पर 60% तक कमीशन घटने से सीएससी संचालकों में खासा रोष बना हुआ।सरकार द्वारा घटाए गए कमीशन को लेकर सीएससी संचालक काफी मायूसी

 हैं,उनका कहना है कि महंगाई के इस दौर में बिजली के बिल से लेकर तमाम दूसरी चीजें की जरूरत होती है।लेकिन बिजली के बिल पर कमीशन काटने से सीएसपी संचालक घाटे में पहुंच जाएंगे और ज्यादातर  सीएससी बंदी के कगार पर पहुंच गए हैं। सीएससी संचालकों ने सरकार से इस पर पुनर्विचार कर कमीशन बढ़ाए जाने की मांग रखी है। कॉमन सर्विस सेंटर संचालक वीरेंद्र सिंह का कहना है कि महंगाई के दौर में सेंटर चलाना बड़ा मुश्किल है। कमीशन घटने से संचालक पूरी तरह से बर्बादी की कगार पर पहुंच गए हैं। वेलफेयर से जुड़े रंजन कुमार और जहांगीर का कहना है कि कॉमन सर्विस सेंटर संचालक की महत्वपूर्ण कड़ी है। जो जन जन तक सरकार की सुविधाएं और योजनाएं पहुंचा रही है लेकिन सरकार ने कमीशन घटाकर संचालकों के साथ अच्छा नहीं किया। इस पर सरकार को पुनर्विचार करना चाहिए। अन्य सीएससी संचालकों विकास कुमार सलीम अख्तर आदि  ने भी सरकार के इस फैसले को पर पुनर्विचार की मांग की है। ज्यादातर कॉमन सर्विस सेंटर संचालक सरकार के इस फैसले से नाखुश हैं और उन्हें समितियों का गठन कर सरकार तक अपने फैसले से अवगत कराने का काम किया है।


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