जनादेश का सम्मान जरूरी

महाराष्ट्र में सियासी संकट जारी है। हालांकि मुख्यमंत्री और शिवसेना के मुखिया उद्धव ठाकरे ने शिवसेना के बागी विधायकों को दो टूक अपना फैसला सुना दिया कि अगर कोई उनसे आमने-सामने आ कर कहे कि वे मुख्यमंत्री पद से हट जाएं, तो वे इस्तीफा दे देंगे। यही नहीं शिवसेना के बागी नेता एकनाथ शिंदे ने खुद को बाल ठाकरे का सच्चा अनुयायी और हिंदुत्व का रक्षक बताने की कोशिश की थी। जिस पर उद्धव ठाकरे ने जवाब दे दिया कि सेना और हिंदुत्व हमेशा बरकरार हैं। शिवसेना को हिंदुत्व से अलग नहीं किया जा सकता है और हिंदुत्व को शिवसेना से अलग नहीं किया जा सकता है। बाल ठाकरे के गुजर जाने के बाद 2014 में हम अकेले लड़े थे। मैं पिछले ढाई साल से सीएम हूं और जितने भी नेता चुने गए हैं, वे सब बाल ठाकरे की शिवसेना पार्टी से हैं। इसके साथ ही उद्धव ठाकरे ने ये भी बता दिया कि महाविकास अघाड़ी गठबंधन में मजबूती कायम है और कांग्रेस-एनसीपी दोनों चाहते हैं कि वे मुख्यमंत्री बने रहें। उद्धव से इस तरह के जवाब या पलटवार की उम्मीद शायद एकनाथ शिंदे और भाजपा को नहीं रही होगी। इस बीच एकनाथ शिंदे ने भरत गोगावले को शिवसेना का चीफ व्हिप नियुक्त कर विधायकों की संख्या बल के आधार पर अपनी शिवसेना को असली शिवसेना बताने का दांव भी खेला। शिवसेना को तोड़ने की ये कोशिश कामयाब होगी या नहीं और अगर हो गई क्या तब भी सत्ता हासिल करने में एकनाथ शिंदे को सफलता मिलेगी या नहीं, इन सवालों के जवाब भी जल्द ही सामने होंगे। हो सकता है उद्धव ठाकरे विधानसभा भंग कर फिर से चुनाव कराने का प्रस्ताव दे दें। हालांकि राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी इस वक्त कोरोना संक्रमित हैं और इलाज करा रहे हैं, तो वे कब तक कोई निर्णय लेंगे, ये भी देखना होगा। फिलहाल ये देखकर दुख हो रहा है कि सत्ता हासिल करने के लिए किस तरह लोकतंत्र और संविधान की मर्यादाओं को सरेराह अपमानित किया जा रहा है। कुछ दिन पहले शिवसेना के बागी विधायक सूरत के एक होटल पहुंच गए थे और मंगलवार रात उन्हें गुवाहाटी पहुंचा दिया गया। जिस तरह मवेशियों को एक जगह से दूसरी जगह गड़ेरिया ले जाता है, कुछ उसी अंदाज में जनता द्वारा निर्वाचित विधायकों को ले जाया गया। फर्क इतना ही है कि भेड़-बकरियों को बाड़े में कैद रखा जाता है, और विधायकों को पांच सितारा होटल के सुविधायुक्त बाड़े में कैद रखा गया। असम इस वक्त बाढ़ की चपेट में है, सरकार की प्राथमिकता इस वक्त लोगों को राहत पहुंचाने की होनी चाहिए, मगर असम की भाजपा सरकार इस वक्त महाराष्ट्र से आए विधायकों की देखभाल में लगी है। बहरहाल, महाराष्ट्र में बाल ठाकरे और हिंदुत्व की दुहाई देते हुए सत्ता हथियाने का जो खेल रचा गया है, उसमें सीधे-सीधे जनादेश का अपमान हो रहा है। लोकतांत्रिक तरीके से निर्वाचित जनप्रतिनिधियों को अगर इस तरह कैद करके रखा जाए, उन्हें करोड़ों रुपए देकर तोड़ा जाए, और फिर बहुमत का आंकड़ा जुटा लेने के बाद संविधान की शपथ लेते हुए सरकार बनाई जाए, तो यह जनता और संविधान दोनों का अपमान है। यह अपमान किसी न किसी राज्य में लगातार हो रहा है, अब इस पर रोक लगनी जरूरी है।

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