परिवार नियोजन : पुरुष भी निभाएं जिम्मेदारी 

-          नसबंदी के मामले में पुरुषों को आगे आने की जरूरत : सीएमओ



गाजियाबाद, 23 जून 2022। जिस प्रकार पति-पत्नी मिलकर तमाम महत्वपूर्ण निर्णय लेते हैं और बराबर की भागीदारी निभाते हैं उसी प्रकार परिवार नियोजन के मामले में पुरुष बराबर की जिम्मेदारी निभाएं तो बात कुछ और हो। परिवार नियोजन सेवाओं को सही मायने पर धरातल पर उतारने के प्रयास तभी अपने अंजाम तक पहुंच सकेंगे जब पुरुष अपनी मानसिकता बदला, इस वहम का पीछा छोड़ें कि पुरुष नसबंदी से शारीरिक कमजोरी आती है। मुख्य चिकित्साधिकारी (सीएमओ) डा. भवतोष शंखधर का कहना है - महिला नसबंदी के मुकाबले पुरुष नसबंदी ज्यादा सरल और सुरक्षित है। दो बच्चों के जन्म में कम से कम तीन वर्ष का अंतर रखने के लिए पुरुष परिवार नियोजन का अस्थायी साधन कंडोम को अपनाएं और परिवार पूरा होने पर स्थायी साधन के रूप में नसबंदी को अपनाकर परिवार नियोजन में अपनी जिम्मेदारी निभा सकते हैं। लेकिन हर मामले में आगे होने का दंभ भरने वाले पुरुष नसबंदी के मामले में महिलाओं से पीछे रहते हैं। जनपद में अप्रैल और मई माह के दौरान जहां 166 महिला नसबंदी हुई हैं वहीं पुरुष नसबंदी मात्र सात ही हुईं। 

पुरुष नसबंदी विशेषज्ञ डा. जीपी मथूरिया का कहना है कि पुरुष नसबंदी बहुत ही छोटी सी शल्य क्रिया है। इसकी सफलता 99.5 प्रतिशत है और असफल मामलों में सरकार की ओर से संबंधित को मुआवजा दिया जाता है। ध्यान रखें कि पुरुष नसबंदी के बाद तीन माह तक परिवार नियोजन का अस्थाई साधन अपनाना जरूरी होता है। दरअसल प्रजनन तंत्र से शुक्राणु पूरी तरह खत्म होने में इतना समय लगता है। इसलिए तीन माह बाद वीर्य की जांच के बाद ही पुरुष नसबंदी की प्रक्रिया पूरी मानी जाती है। उनका कहना है कि इस तरह यदि पति-पत्नी में किसी एक को नसबंदी की सेवा अपनाने के बारे में तय करना है तो उन्हें यह जानना जरूरी है कि महिला नसबंदी की अपेक्षा पुरुष नसबंदी बेहद आसान है और जटिलता की गुंजाइश भी कम है। हालांकि नसबंदी से पहले चिकित्सक की सलाह अवश्य लें।

दो बच्चों के पिता 51 वर्षीय अनिल कुमार का कहना है कि उन्होंने 40 वर्ष की उम्र में नसबंदी कराई थी। दो से तीन मिनट की इस शल्य क्रिया के बाद उन्हें आज तक किसी तरह की परेशानी नहीं हुई। स्टेमिना कम होने जैसी बातें केवल मिथक भर हैं। यह निर्णय लेने के बाद उनका वैवाहिक जीवन और सुखमय हो गया। परिवार पूरा होने के बाद अस्थाई साधन अपनाते रहने का कोई मतलब नहीं है, पता नहीं कब चूक हो जाए। पत्नी की सहमति से खुद की नसबंदी का निर्णय लेकर मैं खुश हूं।  


 


नसबंदी फेल हुई तो सरकार देगी 60 हजार


राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के जिला कार्यक्रम प्रबंधक अनुराग भारती बताते हैं कि पुरुष नसबंदी करवाने पर लाभार्थी को दो हजार रुपए उसके खाते में दिये जाते हैं। पुरुष नसबंदी के लिए चार योग्यताएं प्रमुख हैं- पुरुष विवाहित होना चाहिए, उसकी आयु 60 वर्ष या उससे कम हो और दंपति  के पास कम से कम एक बच्चा हो, जिसकी उम्र एक वर्ष से अधिक हो। पति या पत्नी में से किसी एक की ही नसबंदी होती है। डीपीएम बताते हैं कि नसबंदी के विफल होने पर 60,000 रुपए की धनराशि दी जाती  है। नसबंदी के बाद सात दिनों के अंदर मृत्यु हो जाने पर चार लाख रुपए की धनराशि दी जाती है। नसबंदी के 8 से 30 दिन के अंदर मृत्यु हो जाने पर एक लाख  रुपए की धनराशि दिये जाने का प्रावधान है। नसबंदी के बाद 60 दिनों के अंदर जटिलता होने पर इलाज के लिए 50,000 रुपए की धनराशि  दी जाती है । 

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