कैदियों की समय पूर्व रिहाई

शासन ने दी रियायत, 60 वर्ष की आयु की शर्त हटी

लखनऊ।
प्रदेश शासन ने सजायाफ्ता कैदियों की समय पूर्व रिहाई के लिए पहले के नियमों में संशोधन करने का फैसला किया है। अब शिक्षक दिवस, अंतरराष्ट्रीय सहिष्णुता और अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार दिवस के मौके पर भी शर्तों के साथ रिहाई हो सकेगी। पहले गणतंत्र दिवस, महिला, विश्व स्वास्थ्य, मजदूर, विश्व योग व स्वतंत्रता दिवस समेत गांधी जयंती के मौके पर इस रिहाई का प्राविधान था।
अपर मुख्य सचिव कारागार प्रशासन एवं सुधार अवनीश कुमार अवस्थी ने बताया कि पूर्व की नीति में संशोधन किया गया है। इसमें जिन बंदियों ने 16 वर्ष की अपरिहार और 20 वर्ष की सपरिहार सजा पूरी की हो, उसे प्रतिबंधित श्रेणी से बाहर रहने पर रिहाई के लिए उपयुक्त माना जाएगा। पहले की 60 वर्ष की आयु पूरी करने की शर्त हटा ली गई है।
संशोधित नीति में एक बिंदु जोड़ा गया है, जिसमें स्थायी नीति के तहत आजीवन कारावास की सजा से दंडित सिद्घदोष बंदी, जिनकी समय पूर्व रिहाई से लोक व्यवस्था व जनहित प्रभावित हो सकता है, की रिहाई का प्रस्ताव समिति द्वारा निरस्त कर दिया जाएगा। प्रतिबंधित शर्तों में 16 बिंदु हैं। इनमें से कोई भी बिंदु कैदी पर लागू होने की दशा में रिहाई नहीं मिलेगी।
क्या है अपरिहार सजा और सपरिहार सजा
दरअसल, हर सजायाफ्ता कैदी को प्रत्येक महीने की सजा में छह दिन की छूट मिलती है। चाल चलन ठीक होने पर यह छूट सात दिनों तक भी दी जाती है। छूट की अवधि घटाकर गणना करने को अपरिहार और छूट की अवधि जोड़ने को सपरिहार कहते हैं।

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