आईआईएमटी के विद्यार्थियों ने जानी बौद्धिक सम्पदा की बारीकियां

- रजिस्ट्रेशन से ही आइडिया और इनोवेशन का बचाव संभवः डॉ. साक्षी गुप्ता
मेरठ। 
आईपीआर का उद्देश्य नई रचनाओं को प्रोत्साहित करना है जिसमें कलाकृति रचनाएं और आविष्कार शामिल हैं जो आर्थिक विकास को गति दे सकते हैं। आईपीआर व्यक्ति को ऐसी चीजों का उत्पादन करने के लिए प्रेरित करता है जो समाज की कई तरह से मदद कर सकती हैं। आईआईएमटी विश्वविद्यालय के जनसंचार फिल्म एवं टेलीविजन स्टडीज विभाग में 6 दिनों से जारी आईपीआर कार्यशाला को संबोधित करते हुए डॉ साक्षी गुप्ता ने ये जानकारियां साझा की। इंडियन एग्रीकल्चर रिसर्च इंस्टीट्यूट पूसा में रिसर्च एसोसिएट डॉ साक्षी गुप्ता आईपीआर और इससे जुड़े मुद्दों में सक्रिय हैं।
मंगलवार को विश्व बौद्धिक दिवस के अवसर पर कार्यशाला के छठें और अंतिम दिन डॉ साक्षी गुप्ता ने बताया कि आईपीआर आर्थिक विकास के साथ-साथ प्रतिस्पर्धात्मकता को बढ़ावा देता है। आईपीआर के लिए रचनाकारों,  आविष्कारकों और ब्रांड मालिकों को अपने स्वयं के आविष्कारों या अन्य मानदंडों के आधार पर अपने उत्पाद में अंतर करना आवश्यक है। फिर अंतिम उपयोगकर्ताओं को यह तय करने दें कि वे किसे चुनते हैं।
आईपीआर न केवल सेवाओं और उत्पादों के बीच विकास और प्रतिद्वंद्विता का समर्थन करता है बल्कि उन्हें वितरित करने के लिए कई व्यावसायिक मॉडल भी प्रदान करता है। यह विविधता और प्रतिद्वंद्विता गुणवत्ता में सुधार, स्थानीयकरण विशेषज्ञता।  और आईपी-आधारित सेवाओं और उत्पादों की विविध रेंज के बीच व्यापक विकल्पों को प्रोत्साहित करती है- सभी अंतिम उपयोगकर्ताओं को लाभान्वित करने के लिए।
6 दिवसीय कार्यशाला के पहले दिन डॉ भारत एन सूर्यवंशी ने आईपीआर और पेटेंट डिजाइन के फाइलिंग प्रक्रिया को विस्तार से समझाया। दूसरे दिन नम्रता तातिया ने ट्रेड मार्क और फंडिंग और वेल्यूएशन की जानकारी दी। कार्यशाला के तीसरे दिन रश्मि त्यागी ने आईपीआर को ड्राफ्ट करने के लिए जरूरी मुद्दों पर बात की। चौथा दिन प्रतिभागियों को खुद के मूल्यांकन का वक्त दिया गया। पांचवे दिन जीआर राघवेंद्र ने एक बेहद रोचक सेशन में कॉपी राइट और एकेडमिक इंस्टीट्यूट्स के बारे में बारीकी से समझाया। कार्यशाला के छठें और आखिरी दिन आपीआर डॉ साक्षी गुप्ता ने आईपीआर का महत्व और इसकी उपयोगिता के बारे में प्रतिभागियों के सभी सवालों का जवाब दिया।
इंटलेक्चुअल प्रोपर्टी राइट्स पर 6 दिवसीय वर्कशॉप को सफल बनाने में विभाग के संकाय अध्यक्ष डॉ सुभाष चंद्र थलेड़ी, विभागाध्यक्ष विशाल शर्मा, वरिष्ठ शिक्षक डॉ नरेंद्र कुमार मिश्रा, कार्यक्रम संयोजिका डॉ पृथ्वी सेंगर, डॉ विवेक सिंह, सचिन गोस्वामी और निशांत सागर ने सहयोग किया। कार्यक्रम का संचालन विभोर गौड़ ने किया।

No comments:

Post a Comment

Popular Posts