बांग्लादेश से आए हिंदुओं का खत्म हुआ इंतजार
योगी सरकार ने दिया घर और जमीनलखनऊ।
पूर्वी पाकिस्तान (अब बांग्लादेश) से 1970 में आए बंगाली हिंदू परिवारों का 52 वर्षों से चला आ रहा इंतजार अब खत्म हो गया। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने मंगलवार को लखनऊ स्थित लोकभवन में आयोजित कार्यक्रम में इन परिवारों को घर और खेती के लिए जमीजन के पट्टे दिए।
कानपुर देहात के रसूलाबाद क्षेत्र में इन्हें पट्टे दिए गए हैं। खेती के लिए हर परिवार को दो एकड़ और आवास के लिए 200 मीटर जमीन दी गई है। इसके साथ ही मुख्यमंत्री आवास योजना के तहत 1.20 लाख रुपए मकान बनाने के लिए दिए गए हैं। हर घर को एक-एक शौचालय भी बनाकर दिया जाएगा।
इस मौके पर सीएम योगी ने बताया कि 1970 में करीब 407 परिवार उस समय के पूर्वी पाकिस्तान (आज के बांग्लादेश) से विस्थापित होकर उत्तर प्रदेश में आए थे। तब उन्हें मेरठ के हस्तिनापुर में एक सूत मिल में नौकरी दी गई थी। 1984 में वो सूत मिल बंद हो गई। इसके बाद कुछ परिवारों का पुनर्वास अलग-अलग जगहों पर हुआ लेकिन 65 परिवार 1984 से अब तक अपने परिवार के पुनर्वास की प्रतीक्षा कर रहे थे। इन 38 वर्षों में जाने कितने लोग चले गए। प्रतीक्षा करते-करते दो परिवार तो पूरी तरह समाप्त हो गए। 63 परिवार बचे थे।
जब प्रधानमंत्री मोदी जी ने पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से आए उन देशों के अल्पसंख्यक समुदाय के लोगों को नागरिकता देने और पुनर्वास के कार्यक्रम का एक्ट पास किया तो हमने यूपी में पुराने कागज ढूंढने शुरू किए। तब पता चला कि इन 63 परिवारों की स्थिति बदहाल है। ये खानाबदोश जैसी जिंदगी जी रहे हैं। इस बीच कोरोना काल में एक-एक जिंदगी को बचाने के दो साल तक हमें अपनी पूरी ताकत वहां लगानी पड़ी लेकिन प्रसन्नता है कि राजस्व विभाग ने समयबद्ध ढंग से इस कार्यक्रम को आगे बढ़ाकर इन 63 परिवारों के व्यवस्थित पुनर्वास की कार्ययोजना को लागू कर दिया है।
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