दुनिया पर भारी पड़ेगी जिद
sanjay verma
रूस-यूक्रेन युद्ध के खत्म होने के संकेत बेहद क्षीण हैं। भारत दौरे पर आए बोरिस जानसन ने भी साफतौर पर कहा कि यूक्रेन पर रूस की जीत तक यह युद्ध चलता रहेगा। उन्हों यह भी कयास जताया कि यह युद्ध अगले साल तक जारी रह सकता है। केवल दो राष्ट्राध्यक्षों की जिद और अहम के कारण दुनिया एकबार फिर तीसरे विश्वयुद्ध के करीब खड़ी दिख रही है।   यूक्रेन के विभिन्न हिस्सों से करोड़ों लोग पलायन कर चुके हैं। दोनों देशों के हजारों आमलोग और सैनिक मारे जा चुके हैं। इसके बावजूद युद्ध रुकने के आसार फिलहाल नजर नहीं आ रहे हैं। दोनों देशों के बीच युद्ध रोकने के लिए कई बैठकें भी हुईं, जो बेनतीजा रहीं। जो भी हो, रूस की सामरिक शक्ति को यूक्रेन और नाटो देशों ने जिस तरह से कम करके आंका था, वह उनकी भूल साबित हुई, क्योंकि संयुक्त रूस के अलग-अलग होने के बाद भी उसकी सामरिक शक्ति में कोई कमी नहीं हुई है। अब यूक्रेन के निर्दोष नागरिकों को सरकारी अक्खड़पन के कारण अपने जीवन के साथ ही राष्ट्रीय संपत्ति को भी नुकसान उठाना पड़ रहा है। इस घमासान में भारतीय पक्ष तटस्थ की भूमिका का निर्वाह कर बहुत ही उचित कार्य किया है। हालांकि माना जा रहा है कि जीत न मिलने की स्थिति में रूस के  राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन महीनों तक यूक्रेन पर हमले जारी रख सकते हैं। फिर भी यदि युद्ध नहीं संभला तो अंत में उनके परमाणु हथियार तो  हाई-अलर्ट पर हैं ही, जिसके बाद उन दोनों देशों के अतिरिक्त कई देश समूल नष्ट हो जाएंगे। लेकिन, युद्ध काल में उसकी अंतिम  विभीषिका की परवाह कौन करता है! विश्व के सभी राष्ट्राध्यक्ष को इस बात की जानकारी निश्चित रूप से होगी कि आखिर युद्ध का परिणाम क्या होगा, लेकिन समझ में आम लोगों को यह बात नहीं आती कि जब राष्ट्र में कोई मानव जीवित ही नहीं बचेगा तो युद्ध का किसको क्या लाभ मिला?

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