महंगाई और वैश्विक अस्थिरता
sanjay verma

रूस और यूक्रेन के बीच चल रहे युद्ध और अंतर्राष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमत में लगातार उछाल वाली स्थिति बनी रहने के कारण अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष ने चालू वित्त वर्ष के लिए भारत के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के 9 प्रतिशत रहने का अनुमान जताया है, जो पूर्व में 9.5 प्रतिशत था। हालांकि, वित्त वर्ष 2023 के लिए आईएमएफ ने भारत के जीडीपी वृद्धि दर के अनुमान को 8.5 प्रतिशत से बढ़ाकर 9 प्रतिशत कर दिया है। वैसे, आईएमएफ का जीडीपी वृद्धि दर अनुमान भारतीय रिजर्व बैंक समेत कई देसी एवं विदेशी एजेंसियों से बेहतर है। नि:संदेह, आने वाले दिनों में भारत के लिए महंगाई पर काबू पाना और जीडीपी वृद्धि दर की मौजूदा रफ्तार कायम रखना या इजाफा करना आसान नहीं होगा। लेकिन कर संग्रह और निर्यात के मोर्चे पर भारत ने अभूतपूर्व प्रदर्शन किया है। हालांकि, महंगाई आगामी महीनों में वर्तमान रफ्तार से आगे बढ़ती रही और वैश्विक स्तर पर कारोबार की गति धीमी बनी रही तो कर संग्रह और निर्यात दोनों मोर्चे पर भारत पिछड़ सकता है। वैश्विक रेटिंग एजेंसी स्टैंडर्ड एंड पूअर्स (एस एंड पी) की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि अगर अंतर्राष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमत 150 डॉलर प्रति बैरल के स्तर पर पहुंचती है तो भारत, फिलिपींस और थाईलैंड का चालू खाते का घाटा (कैड) वर्ष 2022 में जीडीपी के 5 प्रतिशत से ऊपर जा सकता है और कच्चे तेल की ज्यादा कीमत होने की वजह से इन देशों में पूंजी पलायन का खतरा उत्पन्न हो सकता है। सरकार के पास महंगाई को रोकने के बहुत ज्यादा विकल्प नहीं बचे हैं। कोरोना महामारी, यूक्रेन-रूस युद्ध और कच्चे तेल की कीमत में वृद्धि के चलते भारत की आर्थिक स्थिति और भी कमजोर हो गई। अब चौथी लहर की भी आशंका है। फिर भी, कर संग्रह में वृद्धि, निर्यात के मोर्चे पर अभूतपूर्व तेजी, कुल ऋण में विदेशी मुद्रा ऋण की हिस्सेदारी में कमी, सरकार और केंद्रीय बैंक द्वारा समय-समय पर उठाये गए समीचीन कदमों से भारतीय अर्थव्यवस्था संकट के इस दौर में भी मजबूत बनी हुई है। केंद्रीय बैंक ने चालू वित्त वर्ष के लिए भारत के जीडीपी वृद्धि दर अनुमान को 7.8 प्रतिशत से घटाकर 7.2 प्रतिशत किया है, जबकि विश्व बैंक ने इसे 8.7 प्रतिशत से घटाकर 8 प्रतिशत कर दिया है। विश्व बैंक के अनुसार कोरोना महामारी के कारण भारत में रोजगार परिदृश्य अभी दयनीय बना हुआ है, जिससे लोगों की आय में कमी आ रही है, उपभोग में इजाफा नहीं हो रहा और बढ़ती महंगाई की वजह से क्रय शक्ति में कमी आ रही है। हालांकि, फिलवक्त दुनिया की बड़ी अर्थव्यवस्थाओं वाले देश में भी खुदरा महंगाई उच्चतम स्तर पर पहुंची हुई है। अमेरिका में यह 8.5 प्रतिशत है, जो 40 वर्षों का उच्चतम स्तर पर है, जबकि यूरो क्षेत्र में 7.5 प्रतिशत है। सिर्फ चीन में खुदरा महंगाई 1.5 प्रतिशत है, जो दुनिया में सबसे कम है। एक अन्य वैश्विक एजेंसी एशियन डेवलपमेंट बैंक (एडीबी) ने वित्त वर्ष 2023 के लिए भारत के जीडीपी वृद्धि दर के 7.5 प्रतिशत रहने का अनुमान जताया है। भारत की जीडीपी वृद्धि दर दुनिया में सबसे बेहतर है। 

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