देश धर्म और समाज की कीमत पर ना ही बाबू जगजीवन ने कभी समझौता किया ना ही प्रश्रय: प्रो पवन कुमार
मेरठ। राजनीति विज्ञान विभाग चौधरी चरण सिंह विवि में अधिकारिता एवं सामाजिक न्याय मंत्रालय भारत सरकार द्वारा स्थापित बाबू जगजीवन राम शोध पीठ के तत्वाधान में एक विशेष व्याख्यान का आयोजन किया गया जिसका शुभारंभ विभाग के अध्यक्ष प्रोफेसर पवन कुमार शर्मा ने बाबू जगजीवन राम के चित्र पर पुष्प अर्पित कर दीप प्रज्वलित किया ।
कार्यक्रम की अध्यक्षता प्रोफेसर पवन कुमार शर्मा ने की । कार्यक्रम की रूपरेखा डा. देवेंद्र कुमार ने प्रस्तुत करते हुए बताया बाबूजी के जीवन में हुए विभिन्न भेदभाव के बाद भी वो कैसे आगे बढ़ते गए ऐसे व्यक्तित्व से समाज को अच्छी चीजें सीखनी चाहिए । अध्यक्षीय भाषण में प्रोफेसर पवन कुमार शर्मा ने बाबू जी के जीवन दर्शन पर विस्तार पूर्वक चर्चा की । बाबू जी का जन्म 5 अप्रैल 1908 चांदवाए भोजपुर जिला बिहार में हुआ था । उनके पिता सेना में थे । उनकी प्राथमिक शिक्षा 1914 में शुरू हुई काशी हिंदू विश्वविद्यालय में इंटर की परीक्षा पास करने के पश्चात उन्होंने अपनी उच्च शिक्षा कोलकाता विश्वविद्यालय से पूरी की और भारतीय राजनीति में सम्यक समरसता की राजनीति के बड़े चेहरे बनें । देश धर्म और समाज की कीमत पर ना ही उन्होंने कभी समझौता किया और न प्रश्रय दिया। वे विधानसभाए विधानपरिषदए लोकसभा एवं राज्यसभा चारों सदनों के सदस्य रहे । मात्र 28 वर्ष की उम्र में ही वे राजनीति में आ गए थेए 1936 बिहार विधान परिषद के लिए नामित हुए । 1937 में बिहार विधानसभा सदस्य बने । भारतीय संविधान सभा के सदस्य भी रहे भारत सरकार में विभिन्न मंत्रालयों का दायित्व निभाया जिनमें प्रमुख कृषि मंत्रालय रेल मंत्रालय रक्षा मंत्रालय एवं संचार मंत्रालय है और अपने राजनीतिक जीवन में वे उप प्रधानमंत्री जैसे महत्वपूर्ण पद तक पहुंचे जीवन में विभिन्न भेदभाव को झेलते हुए भी उन्होंने अपने धर्म अपने राष्ट्र से कोई सहमति नहीं जताई और वह आजीवन हिंदुत्व एवं राष्ट्र की बात करते रहे । इस अवसर पर डॉ. सुषमा रामपाल, डॉ. भूपेन्द्र प्रताप सिंह, डॉ. अरुण कुमार, डॉ. संतोष कुमार, भानु प्रताप सिंह, पायल, चित्रा, अनन्त कपिल, गगन सिकरवार, रजत कोहली एवं अन्य विभाग के विद्वानों और विद्यार्थियों ने सहभागिता की और उपस्थित रहे ।
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