आवाज की दुनिया का टूट गया आसमान :-हरिओम पंवार

 मेरठ। स्वर कोकिला लता मंगेशकर के निधन से हर कोई स्तब्ध है। उनके चले जाने से लोगों में मायूसी है। शहर भर में साहित्य प्रेमी और उनके मुरीद श्रद्धांजलि दे रहे हैं। सोशल मीडिया पर भी लोग श्रद्धा सुमन अर्पित करते हुए उन्हें याद कर रहे हैं।

वीर रस के जाने.माने कवि डॉक्टर हरिओम पवार का कहना है कि लता मंगेशकर प्रकृति को परमात्मा का उपहार थी। उनका चले जाना आवाज की दुनिया का आसमान टूटने जैसा है। इसे कहते हैं कि जिस तरह से सूरज एक है चंद्रमा एक है। आसमान एक है, गंगा एक है, यमुना एक है, ठीक उसी तरह से लता मंगेशकर भी एक ही थी जो ना केवल भारत बल्कि विश्व की आवाज थी। उन्होंने अपने जीवन के 77 वर्ष संगीत की सेवा की। बच्चे से लेकर युवा और वयोवृद्ध सभी उम्र कि उनकी आवाज अलग ही थी, जिसकी किसी से भी कोई तुलना नहीं की जा सकती।


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