प्रसिद्ध रंगकर्मी सुरेंद्र कौशिक का निधन

मेरठ।प्रसिद्ध रंगकर्मी और मुक्‍ताकाश नाट्य संस्‍थान के संस्‍थापक सुरेंद्र कौशिक का निधन हो गया। कला, साहित्‍य और समाज केे गणमान्‍य लोगों ने अपनी शोक संवेदना प्रकट की है।  
15 अगस्‍त 1938 में जन्‍मे सुरेंद्र कौशिक ने मेरठ में ओपन थियेटर को स्‍थापित किया था। एमए तक की पढ़ाई करने के बाद उन्‍होंने राष्‍ट्रीय नाट्य विद्यालय (एनएसडी)  दिल्‍ली से डिप्‍लोमा की थी। उनके साथ कई फिल्‍म कलाकार भी छात्र रहे। इब्राहिम अलकाजी की प्रेरणा से सुरेंद्र कौशिक ने 1964 में मेरठ में मुक्‍ताकाश नाट्य संस्‍थान और थियेटर की स्‍थापना की थी। संस्‍थान से नाट्य प्रशिक्षण के साथ दो वर्षीय नाट्य डिप्‍लोमा दिया जाता था। मुक्‍ताकाश के कलाकार घूम घूम कर नाट्य का मंचन करते थे। मेरठ के कलाकारों के साथ मिलकर सुरेंद्र कौशिक ने एक प्रेक्षागृह भी बनवाया था। थियेटर को आगे बढ़ाने के लिए कई अन्‍य आडिटोरियम का भी निर्माण कराया था।
पंच परमेश्‍वर का तीन हजार बार हुआ मंचन
सुरेंद्र कौशिक मेरठ के अलावा देश के अलग-अलग हिस्‍सों में जाकर नाटक का मंचन करते थे। पंच परमेश्‍वर के नाट्य रुपांतर से रिकार्ड बनाया। सुरेंद्र कौशिक वर्ष 1964 से ही इस नाटक के मंचन से जुड़े रहे। हर रविवार को मुक्‍ताकाश प्रेक्षागृह में नाटक का मंचन होता था। पंच परमेश्‍वर नाट्य रूपांतर का तीन हजार बार नाट्य प्रदर्शन कर उन्‍होंने रिकार्ड भी बनाया। अलग अलग जगह पर उन्‍होंने 68 नाटक और 44 से अधिक एकांकी नाटकों का निर्देशन और प्रदर्शन किया। एक हजार से अधिक नुक्‍कड़ नाटकों का प्रदर्शन भी किया था। वह एक बार फिर मेरठ में पंच परमेश्‍वर का मंचन करना चाहते थे, लेकिन हार्ट अटैक से उनकी यह हसरत अधूरी ही रह गई।
आंखें कीं दान
नौ फरवरी को उन्‍होंने अपनी शादी की सालगिरह भी मनाई थी। वह अपने पीछे पुत्र आकाश, बेटी मुक्‍ता और पत्‍नी इंदू कौशिक को छोड़ गए हैं। निधन के बाद नेत्रदान रंगकर्मी सुरेंद्र कौशिक की इच्‍छा के अनुसार उनके निधन के बाद उनकी दोनों आंखें दान कर दी गईं। मंगलवार को सूरजकुंड में उनका अंतिम संस्‍कार किया गया।  

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