Meerut- विश्व हिंदी दिवस के अवसर पर हिंदी विभाग चौधरी चरण सिंह विश्व विद्यालय मेरठ में वेब गोष्ठी और भाषण प्रतियोगिता का  आयोजन ऑनलाइन किया गया।
 ' विदेशों में हिंदी लेखन' विषय पर वेब गोष्ठी का आयोजन किया गया, जिसकी अध्यक्षता माननीय प्रति कुलपति प्रो0 वाई विमला ने की, कार्यक्रम के मुख्य वक्ता श्री तेजेन्द्र शर्मा और श्रीमती जया वर्मा रही। कार्यक्रम संयोजक प्रो नवीन चंद्र लोहनी, संकायाध्यक्ष कला एवम अध्यक्ष हिंदी विभाग रहे।
कार्यक्रम की अध्यक्ष माननीय प्रति कुलपति प्रो० वाई विमला जी ने कहा कि हिंदी विश्व पटल पर अपनी पहचान बना रही है, तकनीक और रोजगार दोनो ही क्षेत्रों में हिंदी ने विकास किया है, हिंदी  साहित्य सेवी और प्रेमी हिंदी को विकास के नए सोपान तक पहुंचाएंगे और हिंदी की एक अक्षुण्ण परम्परा को बनाएंगे।
कार्यक्रम के मुख्य वक्ता तेजेन्द्र शर्मा ने कहा कि भारत के बाहर हिंदी लेखन तीन स्तरों पर हो रहा है,  गिरमिटिया, विदेशी और अपने कैरियर के लिए विदेश जाने वाले NRI हिंदी में लेखन कर रहे है। छंद से मुक्ति होने के करण कविता लेखन की सबसे लोकप्रिय विधा है। पहली पीढ़ी के लोग अब उम्र दराज़  हो चुके है, उन्होंने बताया कि ब्रिटेन में पहला कहानी संग्रह   उषा राजे सक्सेना ने मिट्टी की सुगंध नाम से  प्रकाशित किया।  जिसमें ब्रिटेन के प्रमुख कहानीकारों को शामिल किया गया। तेजेंद्र शर्मा ने कहा कि हाल के दौर के विदेशी लेखकों में सुषम बेदी सबसे पहली लेखिका मानी जायगी । साहित्य में  निरंतरता और सृजनात्मकता दोनों जरूरी हैं ।अपनी जड़ों को लेकर प्रवासी लेकिन की मूल संवेदना है।  बाद के लेखकों ने विदेशी संवेदनाओं को साहित्य का विषय बनाया, जिससे हिंदी सहित्य में हम कुछ नया दे सकें। वर्तमान में हिंदुस्तानी लोग डॉक्टर, वकील, व्यवसायी के रूप में  काम कर रहे हैं. भारत के बाहर लिखे जाने वाले साहित्य को पढ़ने की आवश्यकता है, विदेशों मैं लिखे जा रहे साहित्य को लेखन को दोयम दर्जे का साहित्य न माना जाय। विदेशी जीवन को जानना है तो विदेशी लेखकों के नए साहित्य को पढ़ना चाहिए। हमारे अनुभव विदेशी है, भाषा हिंदी है, जहाँ जीवन है वहां कहानी है, प्रवासी लेखन की सृजन सामग्री भारत में निहित है, और हम भारतीयता को अपने विदेशी अनुभवों में प्रस्तुत करते रहेंगे।
कार्यक्रम की  श्रीमती जय वर्मा ने कहा कि इंग्लैंड में सन 1950 से हिंदी लेखन हो रहा है, लेकिन प्रवासी साहित्य का प्रकाशन सन 2000 से आरंभ हुआ और आज विपुल मात्रा में प्रवासी साहित्य मौजूद है और लिखा जा रहा है। विदेशों में हिंदी लेखन से हिंदी की व्यापकता बढ़ी है, और भारतीय भाषाओं की पहचान विश्व पटल पर स्थापित हुई है। मेरी पहचान आज हिंदी है, हिंदी में काम करती हूं, इसलिये सब मुझे ब्रिटेन में जानते हैं, और इसका मुझे गर्व है, मैं समझती हूं कि भारतीय लोग भी हिंदी को स्वाभिमान से जोडें, तभी हिंदी आगे बढ़ेगी। सृजनात्मक साहित्य और अनुवाद में हिंदी में रोजगार की अपार से संभावनाएं हैं।
कार्यक्रम के संयोजक और संकायाध्यक्ष कला एवम अध्यक्ष हिंदी विभाग प्रो नवीन चंद्र लोहनी ने कहा कि हिंदी वैश्विक पटल पर रोजगार साहित्य शिक्षा बाजार में भागीदारी कर रही है, भारतीय परिदृश्य हो अथवा विदेशी परिदृश्य हिंदी हर स्तर पर सफलतापूर्वक अभिव्यक्ति क्षमता को प्रमाणित कर रही है, हमारे विभाग ने पिछले कई सालों में इस संदर्भ में कई महत्वपूर्ण कार्य किया हैं, प्रवासी साहित्य को स्नातकोत्तर स्तर के पाठ्यक्रम में शामिल करने के साथ साथ पीएच० डी० और एम० फिल में शोध भी विभाग के विद्यार्थियों ने किया हैं। सृजनात्मक स्तर, शैक्षिक स्तर, तकनीकी स्तर अथवा रोजगार हर स्तर पर हिंदी मजबूत हुई है।
 प्रथम सत्र में हिंदी की "वैश्विकता और वर्तमान स्थिति विषय पर भाषण प्रतियोगिता का आयोजन किया गया। जिसमें विभाग के छात्र छात्राओं ने बढ़ चढ़ कर हिस्सेदारी की। प्रतियोगिता में निर्णायक मंडल में विभाग के शिक्षक डॉ अंजू, डर प्रवीण कटारिया, डॉ आरती राणा रहे।
प्रथम सत्र का संचालन डॉ0 विद्यासागर सिंह और द्वितीय सत्र का संचालन डॉ अंजू ने किया
 भाषण प्रतियोगिता में जया देवी, प्री० पीएच० डी०  प्रथमनिकुंज कुमार, BA ऑनर्स द्वितीय अंकिता तिवारी, प्री० पीएच० डी० तृतीयपुष्पेंद्र कुमार, प्री० पीएच० डी० चतुर्थ अंजलि पाल,  एम० ए० प्रथम वर्ष पंचम स्थान पर रहे।

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