Meerut-सुभारती विश्वविद्यालय के परफार्मिग आर्ट्स विभाग में अतिथि व्याख्यान के दूसरे सप्ताह में बड़ोदरा के महाराजा सयाजीराव विश्वविद्यालय के विभागाध्यक्ष एवं प्रख्यात गायक प्रो. राजेश केलकर जी का व्याख्यान रहा।प्रो. राजेश केलकर जी ने “संगीत शिक्षा को रोचक बनाने हेतु विभिन्न प्रयोगां” पर अपना व्याख्यान दिया।

उन्होंने कहा की छात्र एक कच्चे घड़े के समान है, जिसकी मिटट्ी आधी गिली आधी सुखी है, कुम्हार रूपी शिक्षक को ही उस घडे़ को सुखा कर पकाना है। उन्होने यह भी बताया की छात्रों को पढाते समय कुछ ऐसे तथ्य डालने चाहिए, जिससे छात्र की रूची अपने विषय की ओर बढ़े।

प्रो. केलकर ने कहा कि छात्रो को स्वरों मे साथ-साथ तालों के अंलकार का भी रियाज़ करना चाहिए, इससे छात्रों में स्वर व तालों की समझ होगी और संगीत में रूची भी बढेगी।प्रो. केलकर ने राग बहार में “श्री गिरधर आगे नाचुँगी, नाच-नाच पिया रसिक रिझाऊ” की बंदिश गाई, तथा इसी बन्दिश को राग मालकौंस में किस प्रकार गायेंगे यह गाकर बताया।प्रो. केलकर ने संगीत के साहित्य पहलू पर भी बात की। उनके व्याख्यान के अन्त में बहुत से शोधार्थियों ने अपने प्रश्न भी पूछे।परफार्मिंग आर्ट्स विभाग की विभागाध्यक्षा प्रो. डा. भावना ग्रोवर ने कुलपति डा. जी. के. थापलियाल, मुख्य कार्यकारी अधिकारी डा. शल्या राज, ललित कला संकाय के प्राचार्य प्रो. डा. पिन्टू मिश्रा का धन्यवाद ज्ञापित किया। व्याख्यान में उपस्थित प्रख्यात लेखक एवं संगीतज्ञ पंडित विजय शंकर जी का भी हृदय से आभार व्यक्त किया। विभागाध्यक्षा ने विभाग के सभी सदस्यो के सहयोग के लिए भी धन्यवाद ज्ञापित किया और आनलाईन आएं सभी लोगो का धन्यवाद करते हुए कार्यक्रम का समापन किया।

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