- डॉ. दिलीप अग्निहोत्री
आधुनिक युग में तकनीक व भौतिक सुविधाओं का खूब विकास हुआ। लेकिन विकास की दौड़ में सामाजिक व मानवीय संवेदनाओं का महत्व कम हुआ है। उपभोगवादी सभ्यता ने अनेक प्रकार की अन्य समस्याओं को भी जन्म दिया है। प्रकृति व पर्यावरण संबंधी संकट भी बढ़ रहा है। ऐसे में संतुलित विकास पर ध्यान देना अपरिहार्य हो गया है। यह कार्य पाश्चात्य सभ्यता के माध्यम से नहीं हो सकता। उन्हें तो अपनी समस्याओं का समाधान दिखाई नहीं दे रहा है क्योंकि उनका चिंतन इसके अनुरूप नहीं है। जबकि भारत के प्राचीन ऋषियों मनीषियों का चिंतन शाश्वत है। यह आज भी प्रासंगिक है।
नरेंद्र मोदी सरकार ने भारतीय परिवेश के अनुरूप नई शिक्षा नीति बनाई थी, उस पर अमल चल रहा है। इसमें सांस्कृतिक चेतना के साथ आधुनिक विकास को महत्व दिया गया। नरेंद्र मोदी ने कहा था कि भारत की यह नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति राष्ट्र निर्माण के महायज्ञ में बड़ा योगदान देगी। बहुविषयक शिक्षा और अनुसंधान विश्वविद्यालय देश के युवाओं के लिए नए अवसर का सृजन करेगी। यह अंतर अनुशासनात्मक अनुसंधान को बढ़ावा देने के साथ भारत को अनुसंधान एवं विकास का वैश्विक हब बनाने में सहायक होगी। नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति ने भारतीय उच्च शिक्षा प्रणाली के लिए एक नई कल्पना का सूत्रपात किया है। यह एक आत्मनिर्भर भारत के निर्माण से जुड़ी दृष्टि को रेखांकित करने वाली है।
मात्र एक वर्ष में देश के बारह सौ से ज्यादा उच्च शिक्षण संस्थानों ने स्किल इंडिया से जुड़े कोर्सों की शुरुआत की है। अनेक भाषाओं में इंजीनियरिंग की पढ़ाई संभव होगी। इंजीनियरिंग के कोर्स का इन भाषाओं में अनुवाद शुरू हो चुका है। मातृभाषा में पढ़ाई से गरीबों का बच्चों का आत्मविश्वास बढ़ेगा। प्रारंभिक शिक्षा में भी मातृभाषा को प्रमोट करने का काम शुरू हो गया है। शिक्षा में भाषा सभ्यता संस्कृति सामाजिक मूल्यों को समुचित स्थान मिल रहा है। ऐसी शिक्षा नीति ही राष्ट्रीय स्वाभिमान का जागरण करती है। अंग्रेजों द्वारा भारत में शुरू की गई शिक्षा राष्ट्रीय स्वाभिमान को हीनता में बदलने वाली थी। शिक्षा केवल बाबू बनाने के लिए होगी,तो उससे व्यक्ति समाज और राष्ट्र का अपेक्षित लाभ नहीं हो सकता। मानवीय दृष्टिकोण का भाव भी होना चाहिए।
नई शिक्षा नीति स्कूली और उच्च शिक्षा दोनों में बहुभाषावाद को बढ़ावा देती है। पाली, फारसी और प्राकृत के लिए राष्ट्रीय संस्थान, भारतीय अनुवाद और व्याख्या संस्थान की स्थापना की जाएगी। अकादमिक बैंक ऑफ क्रेडिट और विद्या प्रवेश सहित नए शैक्षणिक कार्यक्रमों की शुरुआत हुई है। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस अथवा कृत्रिम बुद्धिमत्ता के कार्यक्रम युवाओं को भविष्योन्मुखी बनाएगा। इससे संचालित अर्थव्यवस्था के रास्ते खोलेगा।
नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति द्वारा नयी पीढ़ी को बेहतर भविष्य देने की शुरुआत हो रही है। ईज ऑफ डुइंग बिजनेस में सुधार हुआ है। आजादी के पछत्रहवें साल में देश में पचहत्तर से अधिक यूनिकॉर्न्स और पचास हजार से अधिक स्टार्टअप्स हैं। मात्र छह महीनों में लगभग दस हजार स्टार्टअप्स विकसित हुए हैं। इनमें से अनेक स्टार्टअप्स आईआईटी के युवाओं ने शुरू किये हैं। भारत दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा स्टार्टअप हब बनकर उभरा है। भारत दुनिया के कई विकसित देशों को पीछे छोड़कर तीसरा सबसे बड़ा यूनिकॉर्न देश बन गया है। इण्डियन इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी वस्तुतः इंस्टीट्यूट ऑफ इण्डीजेनस टेक्नोलॉजी के रूप में है।
योगी आदित्यनाथ ने कहा कि प्रदेश सरकार ने उत्तर प्रदेश स्टार्टअप नीति को प्रभावी रूप में लागू की है। इस स्टार्टअप नीति में सूचना प्रौद्योगिकी के साथ गैर। सूचना प्रौद्योगिकी क्षेत्रों को भी सम्मिलित किया गया है। आत्मनिर्भर भारत की परिकल्पना को साकार करने के लिए देश में नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति लागू की है। प्रदेश में आईआईटी कानपुर, आईआईटी बीएचयू, आईआईएम लखनऊ जैसी प्रतिष्ठित संस्थाएं हैं। प्रदेश में स्थापित हो रहे उत्तर प्रदेश डिफेंस इण्डस्ट्रियल कॉरिडोर में तकनीकी पार्टनर के रूप में आईआईटी कानपुर अपना सहयोग प्रदान कर रहा है। राज्य सरकार द्वारा आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के क्षेत्र में देश का पहला सेण्टर ऑफ एक्सिलेंस आईआईटी कानपुर के नोएडा परिसर में स्थापित किया जाएगा। यह केन्द्र स्टार्टअप्स को बढ़ावा देगा। प्रदेश सरकार ने वर्तमान आवश्यकताओं के अनुरूप तकनीकी संस्थानों में नये ट्रेड के संचालन के लिए टॉस्क फोर्स का गठन किया है।
(लेखक स्वतंत्र टिप्पणीकार हैं।)
 
 
 

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