वेदों के अनुसार बटोही,
जग में बाँटों प्यार बटोही।
फूलों ‌जैसा हो ये जीवन,
जिससे महके तन का उपवन,
ये जीवन का सार बटोही,
जग में बाँटों प्यार बटोही।



सच को केवल सच ही लिखना,
जो अंदर हो बाहर दिखना,
पाप हृदय के मार बटोही।
जग में बाँटों प्यार बटोही,
औरों के भी हित में जीना,
उनके भी कुछ आंसू पीना,
गीता से साभार बटोही,
जग में बाँटों प्यार बटोही।
कुछ भी नहीं यहां पर अपना,
जो तेरा है वह है सपना,
ऐसा कर उपकार‌ बटोही,
जग में बाँटों प्यार बटोही।
धन अर्जन भी वही जरूरी,
जिससे जन सुविधा हो पूरी।
परहित तन शृंगार बटोही,
वेदों के अनुसार बटोही।
-----------------
बृंदावन राय सरल, सागर (मध्यप्रदेश)

No comments:

Post a Comment

Popular Posts