सन्नाटे को चीरती रही सायरन की आवाज
मेरठ।  25 दिसंबर की रात को 10 बजे से ही फैटमकर्मी सड़कों पर एलाउंसमेंट करते हुए घूम रहे थे।हो गई। 11 बजे चौराहों और प्रमुख जगहों पर तैनात पुलिस की गाड़ियों के पुलिस नाइट कर्फ्यू का पालन करवाने के लिए सड़क पर मुस्तैदयरन बजने लगे।  कमोवेश ये स्थिति उप्र के सभी जिलों की रही।

कोरोना कर्फ्यू के चलते पुलिस ने पहली रात में खूब सख्ती दिखाई। ओमिक्रॉन के बढ़ते खतरे को देखते हुए 25 दिसंबर की रात 11 बजे से सुबह तक के लिए नाइट कर्फ्यू लगा दिया है। जिसका असर पहले ही दिन प्रदेश के सभी जिलों में दिखाई दिया। पुलिस ने पहली ही रात से सख्ती शुरू कर दी है। मेरठ और पश्चिमी उप्र के जिलों में नाइट कर्फ्यू का असर देखने को मिला। मेरठ सहित समेत प्रदेश के जिलों में रात 10 बजे के बाद बाजार बंद करने के आदेश दिए गए हैं। प्रतिबंधाें की पहली रात मेरठ और गाजियाबाद में तय समय से पहले ही बाजार और खाने-पीने की सभी स्टॉल बंद हो गए। बाहर निकलने वालों से पुलिस ने इसकी वजह पूछी। पुलिस ने रात 11 बजे सख्ती शुरू कर दी।
शनिवार रात 11 बजे से नाइट कर्फ्यू लगने के पहले ही बाजार और दुकानें बंद कर दी गईं। पुलिस बल चौराहों पर पहले से ही बैरिकेडिंग कर तैनात थे। सायरन बजाते हुए रात 10 बजे से पहले दुकान बंद करने की हिदायत देते रहे। इसके बाद निकलने वाले लोगों के नाम पता नोट किए गए। उनसे बाहर निकले की वजह पूछी गई। उन्हें चेतावनी देते हुए आज रविवार से नाइट कर्फ्यू की गाइडलाइन का पालन करने की हिदायत दी। बिना किसी कारण के घर से नाइट कर्फ्यू में नहीं निकलने को कहा।
मेरठ में नाइट कर्फ्यू का असर देखने को मिला। 10 बजते ही हर इलाके में बजने लगा सायरन, दुकान से लेकर गलियों तक में सन्नाटा छा गया।जैसे ही 10 बजे वैसे ही पुलिस की सायरन की आवाज सड़कों पर और गलियों में गूंजने लगी। सभी पुलिसकर्मी लोगों को घर भेजते दिखाई दिए। 11 बजे से पहले ही मिनटों  के अंदर ही शहर के भीड़भाड़ वाली सड़कों पर सन्नाटा छा गया। सबसे पहले आबूलेन में 9 बजते ही दुकानें बंद होने लगीं। शहर की सड़कों पर पुलिस तैनात होकर आने-जाने वालों से पूछताछ करने लगी। साढ़े 10 बजते-बजते सब सूना होने लगा। 11 बजे तक तो पूरे  जिले में नाइट कर्फ्यू का असर दिखाई दिया।

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