7 साल में दो बार बैकफुट पर आई मोदी सरकार

नयी दिल्ली। राजनीतिक महत्व के एक दूरगामी फैसले में गुरूनानक देव के प्रकाश पर्व पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को तीनों विवादास्पद कृषि कानूनों को संसद में रद्द करने की घोषणा की। इससे पूर्व भी मोदी सरकार सरकार भूमि अधिग्रहण अध्यादेश को लेकर अपने पैर पीछे खींच चुकी है। 
पीएम मोदी ने कहा कि इन विवादास्पद कानूनों को वापस लेने की प्रक्रिया संसद के 29 नवंबर से शुरू हो रहे सत्र में सम्पन्न करायी जाएगी। उन्होंने इसके साथ ही न्यूनतम समर्थन मूल्य एमएसपी तथा शून्य बजट खेती पर सिफारिश के लिए बहुपक्षीय समिति बनाने का भी ऐलान किया। मोदी घोषणा के दौरान किसानों से आंदोलन छोड़ कर अपने अपने घर जाने की अपील की।कांग्रेस और अन्य विपक्षी दलों ने सरकार के इस निर्णय को किसान आंदोलन की जीत बताते हुए किसानों को बधाई दी है। मोदी ने देव दीपावली और गुरु नानक देव जी के प्रकाश पर्व के मौके पर राष्ट्र को संबोधित करते हुए शुक्रवार को यहां कहा कि वह नेक नीयत से किसानों की भलाई के लिए ये तीनों कृषि कानून लाए थे। इसके लिए लंबे समय से मांग हो रही थी। उन्होंने कहा कि कुछ किसान, भले ही उनकी संख्या कम हो, उन्होंने इसका विरोध किया। संभवत: यह हमारी तपस्या की कमी थी कि हम उन्हें इन तीनों कानूनों के बारे में समझा नहीं सके। मोदी ने कहा कि इन तीनों कानूनों को रद्द करने की प्रक्रिया संसद के इसी सत्र में की जाएगी। संसद का सत्र 29 नवंबर से शुरू हो रहा है। 
भूमि अधिग्रहण अध्यादेश पर मचा था बवाल
पीएम के इस ऐलान के बाद अलग.अलग राजनीतिक दलों की तरफ से प्रतिक्रियाएं भी सामने आईं। लेकिन यह पहला मौका नहीं है जब 7 साल की नरेंद्र मोदी सरकार को बैकपुट पर आना पड़ा है। इससे पहले भी सरकार भूमि अधिग्रहण अध्यादेश को लेकर अपने पैर पीछे खींच चुकी है।
2014 नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में यह सरकार सत्ता की कुर्सी पर विराजमान हुई थी। सत्ता में आने के कुछ ही दिनों बाद केंद्र सरकार ने नया भूमि अधिग्रहण अध्यादेश लाया। लेकिन इस अध्यादेश के सामने आते ही इसपर उस वक्त बवाल मच गया था। तब की करीब.करीब सभी विपक्षी पार्टियों ने केंद्र सरकार के इस अध्यादेश का विरोध शुरू कर दिया। हालत यह हो गई थी कि उस वक्त मोदी सरकार ने इसे लेकर चार बार अध्यादेश जारी किए लेकिन वो इससे संबंधित बिल संसद में पास नहीं करा पाई। मोदी सरकार बैकफुट पर आई।अगस्त 2015 को इस कानून को वापस लेने का ऐलान कर दिया था।

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