मातृ व शिशु मृत्यु दर को कम करने में पूर्ण सहायक है संस्थागत प्रसव - प्रसव पूर्व महिलाओं की सम्पूर्ण जांच जरूरी बुलंदशहर, 22 नवम्बर 2021। जच्चा- बच्चा की सुरक्षा और बेहतर स्वास्थ्य के लिए सुरक्षित संस्थागत प्रसव बेहद जरूरी है। संस्थागत प्रसव से शिशु व मातृ मृत्यु दर को काफी हद तक कम किया जा सकता है। संस्थागत प्रसव नहीं कराने से जच्चा और बच्चा दोनों के संक्रमण की चपेट में आने का खतरा बना रहता है। सुरक्षित प्रसव कुशल चिकित्सक और स्वास्थ्य कर्मियों की देखरेख में ही कराना सही होता है। कस्तूरबा गांधी जिला महिला चिकित्सालय की स्त्री एवं प्रसूति रोग विशेषज्ञ डा. सुधा शर्मा ने बताया- हम सभी महिलाओं को संस्थागत प्रसव कराने की सलाह देते हैं। संस्थागत प्रसव का मुख्य उद्देश्य मातृ और शिशु मृत्यु दर को कम करना है। उन्होंने कहा - पहले घरों में प्रसव होते थे जो जच्चा - बच्चा के लिए सुरक्षित नहीं होते थे। इससे दोनों की जान को खतरा रहता था। गर्भधारण के साथ ही नजदीकी स्वास्थ्य केंद्र जाकर अपना पंजीकरण कराएं ताकि समय से सभी जांचें कराई जा सकें। इसका बड़ा लाभ यह होता है कि समय रहते हाई रिस्क प्रेगनेंसी (एचआरपी) की पहचान हो जाती है और चिकित्सक हर स्थिति से निपटने के लिए तैयार रहते हैं । इसीलिए सरकार द्वारा संस्थागत प्रसव को बढावा देने के लिए विभिन्न योजनाएं चलायी जा रही हैं। हर माह की नौ तारीख को गर्भवती की निःशुल्क जांच की जाती है। जननी सुरक्षा योजना : अपर मुख्य चिकित्सा अधिकारी डा. एके भंडारी ने बताया - राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के अंतर्गत यह योजना केंद्र सरकार द्वारा वर्ष 2005 में शुरू की गयी थी। इस योजना का मुख्य उद्देश्य संस्थागत प्रसव को बढावा देते हुए मातृ और शिशु मृत्यु दर को कम करना है । इस योजना के अंतर्गत सरकारी अस्पताल में प्रसव कराने वाली महिलाओं को प्रोत्साहन राशि दी जाती है। योजना के तहत ग्रामीण क्षेत्र की महिलाओं को 1400 रुपये और शहरी क्षेत्र की महिलाओं को 1000 रुपये दिये जाते हैं। गर्भवती के पंजीकरण से लेकर प्रसव तक आशा कार्यकर्ता की मुख्य भूमिका होती है। योजना के अंतर्गत मुफ्त एंबुलेंस सेवा, मुफ्त खाना, मुफ्त सी सेक्शन ऑपरेशन, मुफ्त में खून चढ़ाना आदि शामिल है।उन्होंने बताया जो भी महिला सरकारी अस्पताल में प्रसव के लिए आती है वह स्वयं ही जननी सुरक्षा योजना के लिए पात्र हो जाती है। ---------- जनपद के कस्बा पहासू निवासी कुसुम देवी बताती हैं- जब उन्होंने संस्थागत प्रसव कराया तो अस्पताल में उन्हें दवा से लेकर खाना तक सब निशुल्क दिया गया। यहां तक कि प्रसव पीड़ा होने पर उन्हें एंबुलेंस सरकारी अस्पताल लेकर आई। इसका भी उनसे कोई शुल्क नहीं लिया गया। ------ संस्थागत प्रसव कराने वाली महिलाएं : वर्ष महिलाएं 2017- 2018 40282 2018 -2019 38655 2019- 2020 39641 2020-2021 36191 2021-2022 अब तक 16867 नोट : ये डिटल जननी सुरक्षा योजना से लिया गया है।
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