वाराणसी। राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ उत्तर प्रदेश काशी प्रांत की ओर से आजादी का अमृत महोत्सव महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ वाराणसी के समिति कक्ष में आयोजित किया गया।
राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ काशी प्रांत के प्रांत प्रचारक रमेश ने बीजमन्त्र उद्बोधन में कहा कि महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ स्वंत्रतता आंदोलन की धुरी रही है। आज के युवाओं को गुमनाम क्रांतिकारिओं का इतिहास बताने की जरूरत है। वास्तव में समाज में जनजागरण करना, जन भावना को कुरेदना ही अमृत महोत्सव है।
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि उच्च शिक्षा परिषद उ.प्र. के अध्यक्ष एवं काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति प्रो. गिरीश चन्द्र त्रिपाठी ने कहा कि यह देश 600/700 वर्ष तक पराधीनता के संघर्ष को झेला है। भारत ही वह देश है जहाँ शाश्वत सनातन मूल्य स्थापित हुआ, हार और जीत महत्वपूर्ण नहीं है हम किस बात के लिए संघर्ष कर रहे हैं यह महत्वपूर्ण हैं। सर्वे भवन्ति सुखिनः हमारा विचार, परिवार का विचार है। भारत एक दर्शन है , दृष्टि है, विचार है। हमें अपनी जिम्मेदारियों का निर्वहन करते हुए रामप्रसाद बिस्मिल, अशफाकुल्लाह, रोशन सिंह जैसे क्रांतिकारियों के इतिहास को आज के युवा पीढ़ी  के समक्ष रखना होगा।
कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ के कुलपति प्रो. आनंद कुमार त्यागी ने कहा कि जब बुराइयों और अच्छाइयों में संघर्ष होता है उसकी परिणति ही अमृत महोत्सव है। हमें अपने खोये मूल्यों को फिर से पाने के लिए अपने कर्तव्य पथ पर निरंतर आगे बढ़ना होगा।
स्वागत भाषण में डॉ. दीना नाथ सिंह ने कहा कि विचार परंपरा से व्यवस्थाओं का जन्म होता है सज्जनता रग में और ज्ञान विचार में होना चाहिये। धन्यवाद ज्ञापन डॉ. ओपी चौधरी ने और संचालन संचालन महासंघ के संयुक्त सचिव डॉ. जगदीश सिंह दीक्षित ने किया।
इस अवसर पर प्रो. प्रेमनारायण सिंह, अमिताभ मिश्र, प्रो. सुनील कुमार सिंह, डॉ. हेमेन्द्र कुमार सिंह, प्रो. राजनाथ सिंह, प्रो. रामकुमार सिंह, प्रो. संतोष कुमार दूबे सहित विभिन्न विश्वविद्यालयों में माननीय कुलाधिपति द्वारा नामित कार्यपरिषद सदस्यों के साथ विभिन्न महाविद्यालयों के अनेकों प्राध्यापकों / प्राध्यापिकाओं की उपस्थिति रही।

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