मेले की अनुमति न मिलने से बहुत कम संख्या में पहुंचे श्रद्धालुओं ने माता मरियम के समक्ष शीश नवाए

 साजिद कुरैशी की रिपोर्ट

सरधना। प्रतिवर्ष नवंबर माह के दूसरे रविवार को लगने वाले कृपाओं की माता मेले में उमड़ने वाले लाखों श्रद्धालु इस बार बहुत कम संख्या में पहुंचे। कारण यह रहा कि कोरोना प्रोटोकाल के चलते प्रशासन ने महोत्सव सादगीपूर्ण ढंग से मनाने की ही अनुमति दी। 


     सरधना का चर्च कैथोलिक इसाई समाज के लिए उत्तर भारत में सबसे बड़े तीर्थस्थान का दर्जा रखता है। जहां नवंबर माह के दूसरे रविवार को कृपाओं की माता महोत्सव के दौरान लगने वाले भव्य मेले में देश-विदेश से लाखों की संख्या में श्रद्धालु आकर माता मरियम की चमत्कारी तस्वीर के समक्ष शीश नवाते हैं। मान्यता है कि इस चमत्कारी तस्वीर के दर्शन से मन्नत पूरी होती है। दो साल से प्रशासन कोरोना के चलते मेले की अनुमति नहीं दे रहा है। जिसके चलते बहुत कम संख्या में श्रद्धालु सरधना पहुंचे। मुख्य समारोह में बिजनौर धर्मप्रांत के बिशप जोन वेडाकैल ने प्रार्थना कराई। उनके साथ मेरठ धर्मप्रांत के बिशप फ्रांसिस कालिस्ट और पुरोहितों का समूह मौजूद रहा। प्रार्थना की गई कि दुनिया शीघ्र ही कोरोना जैसी महामारी से निकले, और सामान्य गतिविधियां शुरू हो सकें। सुख समृद्धि से लेकर बीमारों तक के लिए प्रार्थना कराई गई। 

    दोपहर बाद कृपाओं की माता की तस्वीर के साथ चर्च से लेकर बेगम समरू के महल यानि आज के संत चार्ल्स इंटर कालेज तक जुलूस निकाला गया। जिसमें काफी संख्या में श्रद्धालु शरीक हुए। हालांकि मेले की अनुमति नहीं दी गई, इसके बावजूद नगर पालिका की ओर से श्रद्धालुओं के लिए काफी सुविधाएं और साफ सफाई का प्रबंध किया गया। चेयरमैन सबीला अंसारी, पूर्व चेयरमैन निजाम अंसारी, उनके सुपुत्र शावेज अंसारी के साथ अनेक सभासद और पालिका कर्मी आयोजन में सहयोगी बने।

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