व्रतियों ने दिया अस्ताचलगामी सूर्य को अर्घ्य

लखनऊ। छठ महोत्सव की धूम चारो ओर दिख रही है। बुधवार को व्रतियों ने सजे घाटों पर श्रद्धा के साथ अस्ताचलगामी सूर्य को अर्घ्य दिया। इस मौके पर पारंपरिक गीत कांचहिं बांस की बहंगिया बहंगी लचकत जाए...और पहिले पहिल हम कइनी छठी मइया बरत तोहार.. जैसे छठ गीतों से वातावरण गुंजायमान हो उठा।
घाटों पर दोपहर बाद से व्रतियों के आने का सिलसिला शुरू हो गया था। पुुरुष सिर पर टोकरी में लिए पूजन सामग्री और कलश पर जलते दीपक के साथ व्रती महिलाएं नंगे पैर छठ गीत गाते घाट की ओर आती नजर आई। सूर्य उपासना के इस व्रत को लेकर उत्साह भी देखते बन रहा था। कोराेना संक्रमण के भय के बावजूद छठ मइया के प्रति आस्था औ विश्वास घाटों पर नजर आया तो मानो पूरा पूर्वांचल ही आदि गंगा गाेमती के किनारे आ गया हो। छठ मइया के जयकारे से गुंजायमान वातावरण के बीच मन्नत पूरा होने की खुशी में लेटकर परिक्रमा करके भी लोग घाटों तक पहुंचे।
गाेमतीनगर की भाेजपुरी गायिका रंजना मिश्रा व अनुमेहा गुप्ता ने आनलाइन छठ गीत प्रस्तुत करके सभी के मंत्रमुग्ध कर दिया। गइया के गोबरा मगाइब हो छठी मइया अंगने में कोसिया भराइब हो...और पहिले पहिल हम कइनी छठी मइया बरत तोहार...जैसे गीतों को सुनाकर व्रतियों का उत्साह बढ़ाया। मनकामेश्वर उपवन घाट पर महंत देव्या गिरि के सानिध्य में महिलाओं ने अर्घ्य दिया।
झूलेलाल व शिव मंदिर घाट सहित कई घाटों पर हुई पूजाः खदरा के शिव मंदिर घाट पर ओम ब्राह्मण महासभा की ओर से आयोजित छठ पूजा में व्रतियों ने अस्ताचलगामी सूर्य को अर्घ्य देकर पूजन किया। धनंजय द्विवेदी के संयोजन में आयोजित कार्यक्रम में कई गणमान्य लोग शामिल हुए। कृष्णानगर के इंद्रलाेक कालोनी स्थित संकट मोचन हनुमान मंदिर परिसर में रंजना, काजल चव कलावती सहित कई लोगाें ने पूजन किया। झूलेलाल घाट पर परमानंद पांडेय के संयोजन में पूजन किया गया।
पंचमुखी हनुमान मंदिर घाट पर प्रमोद सिंह के संयोजन में व्रतियों ने पूजन किया। श्री खाटू श्याम मंदिर घाट व संझिया घाट के अलावा मनकामेश्वर उपवन घाट पर महंत देव्या गिरि ने व्रतियों को अर्घ्य दिलाया।
उदीयमान सूर्य को अर्घ्य देकर आज होगा व्रत का पारण
गुरुवार को उदीयमान सूर्य को अर्घ्य देकर 36 घंंटे के निर्जला व्रत का पारण होगा। अखिल भारतीय भोजपुरी समाज के अध्यक्ष प्रभुनाथ राय ने बताया कि सुरक्षा बंदोबस्त के बीच सुबह अर्घ्य दिय जाएगा। अर्घ्य देने के लिए भोर में ही व्रती उसी स्थान पर फिर जाएगी जहां शाम को पूजा की थी। प्रसाद वितरण के बाद ही व्रत तोड़ती हैं। 36 वर्षो से लक्ष्मण मेला घाट पर आयोजन किया जा रहा है। पहली बार कोरोना संक्रमण के चलते सांस्कृतिक कार्यक्रम नहीं हुए और प्रशासन की निगरानी में पूजन कार्य किया गया। छठ मइया की कृपा से कोरोना संक्रमण से सभी को निजात मिल जाएगी।

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