मेरठ :
विश्व सीओपीडी दिवस के दिन कुछ महत्वपूर्ण और सीओपीडी (क्रॉनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज) के बारे में चौंकाने वाले तथ्य निम्नलिखित हैं भारत विश्व की सीओपीडी राजधानी है हमारे देश में सीओपीडी के मामलों की संख्या विश्व में सबसे अधिक है भारत में 30 वर्ष और उससे अधिक आयु की आबादी में सीओपीडी का 7ः प्रसार है सीओपीडी से होने वाली मौतों में भारत दुनिया में दूसरे स्थान पर है एड्स टीबी, मलेरिया, मधुमेह सभी को मिलाकर भी सीओपीडी अधिक मौतों का कारण बनता है  
डॉ वीरोत्तम तोमर, पल्मोनोलॉजिस्ट ईबीयूएस, स्लीप एंड क्रिटिकल केयर एक्सपर्ट, डॉ शिवराज मेमोरियल, चेस्ट, एलर्जी और मैटरनिटी सेंटर, ने कहा लगातार धुएं वाले कारको के संपर्क में आने से और बार-बार लंग संक्रमण के संपर्क से अंतर्निहित सीओपीडी बढ़ सकता है जिससे फेफड़े का दौरा पड़ता है सीओपीडी पर जागरूकता की कमी की वजह से लोग डॉक्टर्स के पास नहीं जाते हैं जो कि इसके रोकथाम में महत्वपूर्ण योगदान दे सकते हैं सीओपीडी के लक्षणों की पहचान करना और लंग-अटैक होने पर चिकित्सक से समय पर सहायता प्राप्त करना इस रोग की प्रगति को रोकने का सबसे अच्छा तरीका है यदि धूम्रपान करने वालों को यह पता हो कि इससे लंग-अटैक हो सकता है तथा जिसके लिए तत्काल चिकित्सा ध्यान देने की आवश्यकता होती है वे समय से चिकिसकीय सहायता ले लेंगे रोग के निदान के लिए नियमित रूप से फेफड़ों के कार्य की जाँच तथा सीओपीडी के जोखिम कारकों कि जांच आवश्यक है।“  
फेफड़े के कार्य परीक्षण कि जांच स्पिरोमेट्री से करनी चाहिए जो कि सीओपीडी के निदान के लिए गोल्ड स्टैण्डर्ड है हालांकि यह आमतौर पर नहीं जांचा जाता है और निदान काफी हद तक रोगी के इतिहास और लक्षणों पर आधारित होता है स्पिरोमेट्री नहीं करने की वजह से सीओपीडी के बहुत से मामले जांच में छूट सकते हैं।
सिप्ला के वैश्विक मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. जयदीप गोगटे ने कहा सिप्ला में हम मानते हैं कि सीओपीडी की जागरूकता लोगों को सीओपीडी के शीघ्र और सटीक निदान के महत्व को समझने में मदद करेगी और इस प्रकार फेफड़ों के अटैक को रोकने में मदद करेगी। भारत, जहां एशिया में सबसे अधिक सीओपीडी बोझ है यह और भी महत्वपूर्ण हो जाता है। विश्व सीओपीडी दिवस के अवसर पर, सिप्ला भारत  में स्पाइरोफी लॉन्च कर रहा है जो कि पहला न्यूमोटेक आधारित पोर्टेबल, वायरलेस और किफायती स्पाइरोमीटर होगा। सिप्ला की श्स्पिरोफीश् पूरे पांच  वर्षों के इन-हाउस विकास का परिणाम है और इसका उद्देश्य भारत में ऑब्सट्रक्टिव एयरवे डिजीज (ओएडी) को समय पर डायग्नोसिस करना है। हमें उम्मीद है कि यह डिवाइस समय पर सटीक डायग्नोसिस कर लोगों की जान बचाने में सक्षम होगा।“
सीओपीडी आमतौर पर हानिकारक कणों या गैसों के महत्वपूर्ण संपर्क के कारण होता है। धूम्रपान करने वालों, पुरुषों और 40 वर्ष से अधिक उम्र के लोगों में यह आमतौर पर अधिक होता है।  तम्बाकू एवं धूम्रपान सीओपीडी के लिए एक महत्वपूर्ण जोखिम कारक के रूप में जाना जाता है।  खाना पकाने के लिए (ग्रामीण गांवों में आम) चूल्हे या बायोगैस का उपयोग करने वाली महिलाओं में भी  सीओपीडी का खतरा उच्च स्तर पर है। इसके अलावा, वायु प्रदूषण और बार-बार फेफड़ों में संक्रमण से सीओपीडी का खतरा और भी बढ़ जाता है।  


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