6 माह तक शिशु के लिए सिर्फ मां का दूध पिलाने की अपील

- नवजात शिशुओं में जन्मजात दोषों की पहचान कर उन्हें चिकित्सा सुविधा उपलब्ध कराएंगी

बुलंदशहर। जनपद में राष्ट्रीय नवजात शिशु सप्ताह के तहत 21 नवम्बर तक अभियान चलाया जाएगा। इस सप्ताह की थीम “सुरक्षा, गुणवत्ता और पोषण देखभाल प्रत्येक नवजात का जन्म सिद्ध अधिकार” है। राष्ट्रीय नवजात शिशु सप्ताह के दौरान आशा कार्यकर्ता घर-घर जाकर बच्चों की देखभाल के तरीके बताएंगी और माताओं को जागरूक करेंगी  साथ ही नवजात शिशुओं में जन्मजात दोषों की पहचान कर उन्हें चिकित्सा सुविधा उपलब्ध कराएंगी। सप्ताह के दौरान धात्री महिलाओं को स्तनपान के लाभ के बारे में भी बताया जाएगा। 

मुख्य चिकित्सा अधिकारी डा. विनय कुमार सिंह  बताया- सोमवार को ई-लांच के माध्यम से राष्ट्रीय नवजात शिशु सप्ताह का शुभारम्भ हुआ। जिला एवं ब्लाक स्तरीय बाल स्वास्थ्य, आशा, मातृत्व, स्वास्थ्य से संबंधित अधिकारी, स्वास्थ्य कर्मी, नवजात शिशु इकाई की स्टाफ नर्स आदि को शिशु देखभाल के संबंध में ई-लांचिंग का ऑनलाइन लिंक प्रेषित किया गया।

अपर मुख्य चिकित्सा अधिकारी एवं कार्यक्रम के नोडल अधिकारी डा. एके भंडारी ने बताया- 16 व 17 नवम्बर को जनपद स्तरीय टीम द्वारा एसएनसीयू, एनबीएसयू एवं प्रसव कक्ष की गुणवत्ता सलाह के लिए दौरा किया जाएगा। इसकी रिपोर्ट राज्य स्तर पर प्रेषित की जाएगी। एसएनसीयू, एनबीएसयू एवं प्रसव कक्ष की गुणवत्ता सलाह के लिए जिले में कार्यरत सहयोगी संस्था- यूनिसेफ, यूपीटीएसयू अथवा एनआई के प्रतिनिधियों को सम्मिलित किया जाएगा। सप्ताह के दौरान एसएनसीयू से डिस्चार्ज हुए नवजात शिशुओं का फालोअप डीईआईसी, जिला चिकित्सालय तथा समुदाय स्तर पर किया जाएगा। प्रसव इकाइयों पर गर्भवती महिलाओं का फालोअप चिकित्सा अधिकारी द्वारा किया जाएगा। प्रसव इकाइयों पर जन्मे समस्त नवजात शिशुओं में जन्मजात दोषों की पहचान के लिए स्वास्थ्य परीक्षण किया जाएगा। जन्मजात दोषों से ग्रसित शिशुओं को संबंधित इकाइयों पर रैफर किया जाएगा।


डा. भंडारी ने भारत सरकार द्वारा जारी (एसआरएस-1019) रिपोर्ट का हवाला देते हुए बताया- उत्तर प्रदेश में शशु मृत्युदर 41 प्रति 1000 जीवित जन्म है, जबकि राष्ट्रीय स्तर पर यह सूचकांक 30 प्रति 1000 जीवित जन्म है। इनमें से तीन चौथाई शिशुओं की मृत्यु प्रथम माह में हो जाती है। जन सामान्य को नवजात शिशु स्वास्थ्य के विषय में जागरूक करने, नवजात शिशु की आवश्यक देखभाल, कंगारू मदर केयर, स्तनपान को बढ़ावा देने, बीमार नवजात शिशुओं की पहचान कर समय से चिकित्सा उपलब्ध कराने के बारे में जागरूक किया जाएगा। उन्होंने बताया नवजात शिशुओं की बेहतर देखभाल, शिशु मृत्युदर में कमी लाने के प्रयासों की जानकारी देने के लिए यह सप्ताह आयोजित किया जा रहा है।

अपर मुख्य चिकित्सा अधिकारी डा. एके भंडारी ने बताया ब्लाक स्तर पर क्रियाशील स्वास्थ्य केन्द्रों के प्रभारियों और संबंधित अन्य विभागों के प्रमुखों को कहा गया है कि वह लोगों को शिशुओं की आवश्यक देखभाल के लिए जागरूक करते हुए उन्हें बताएं कि प्रसव चिकित्सालय में ही कराएं और प्रसव के बाद 48 घंटे तक मां एवं शिशु की उचित देखभाल के लिए अस्पताल में रुकें। नवजात को तुरंत नहीं नहलाएं, शरीर पोंछ कर नर्म साफ कपड़े पहनाएं। जन्म के एक घंटे के भीतर मां का गाढ़ा पीला दूध पिलाना शुरू कर दें और 6 महीने तक केवल स्तनपान ही कराएं। जन्म के तुरंत बाद नवजात का वजन लें और नियमित टीकाकरण कराएं। नवजात की नाभि सूखी एवं साफ रखेए संक्रमण से बचाएंए  मां एवं शिशु की व्यक्तिगत स्वच्छता का ध्यान रखें। कम वजन एवं समय से पहले जन्मे शिशुओं का विशेष ध्यान रखें। शिशु का तापमान स्थिर रखने के लिए कंगारू मदर केयर विधि अपनाएं। कुपोषण और संक्रमण से बचाव के लिए 6 महीने तक केवल मां का दूध पिलाएं, शहद, घुट्टी पानी आदि बिल्कुल नहीं पिलाएं।

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