मेरठ। कोविड-19 की गाईडलाइन्स का पालन करते हुये विधि अध्ययन संस्थान एवं महिला अध्ययन केन्द्र, चै0 चरण सिंह विश्वविद्यालय,  के संयुक्त तत्वाधान में अन्तर्राष्ट्रीय बालिका दिवस के अवसर पर बालिकाओं से सम्बन्धित कानून एवं केन्द्र/राज्य सरकार की योजनाओं से अवगत कराने लिये एक सेमिनार का आयोजन विधि अध्ययन संस्थान के मूट कोर्ट हाल में किया गया। 



कार्यक्रम का उद्घाटन डा0 विवेक कुमार जी, समन्वयक एवं सहयुक्त आचार्य, विधि अध्ययन संस्थान, प्रो0 बिन्दु शर्मा, समन्वयक महिला अध्ययन केन्द्र, चै0 चरण सिंह विश्वविद्यालय, मेरठ एवं प्रो0 नवीन चन्द लौहानी, संकायाध्यक्ष, कला तथा प्रो0 आराधना जी ने किया। 
मे विधि अध्ययन संस्थान कि सहआचार्य डा0 कुसुमा वती ने अन्तर्राष्ट्रीय बालिका दिवस के उद्देश्य को बताये हुये बालिकाओं के अधिकारों के बारे में जानकारी दी और यह बताया कि बालिकाओं और महिलाओं को अपने अधिकारों के बारे में जागरूक रहना चाहिए और लिंग के आधार पर भेद भाव को समाप्त किया जाना चाहिए। अन्तर्राष्ट्रीय  बालिका दिवस की शुरूवात किस प्रकार हुई, उसकी जानकारी दी। साथ ही साथ भारत सरकार की बालिकाओं के लिये चलायी जा रही योजनाओं के बारे में जानकारी दी, जैसे बेटी बचाओं बेटी पढ़ाओं। इसके पश्चात् स्वाती सोलंकी, एलएल-एम0 तृतीय सेमेस्टर ने कविता के माध्यम से महिलाओं की स्थिति का वर्णन किया। छात्रा विश्वनी, बी0ए0एलएल-बी0 सप्तम सेमेस्टर ने बालिकाओं को एनडीए, आर्मी, एनसीसी में भर्ती के विषय में जानकारी दी। गरिमा मिश्रा, बी0ए0एलएल-बी0 पंचम सेमेस्टर ने बताया कि आज भी गांव में बहुत से परिवार ऐसे है, जहाँ लड़कियों को पढ़ने की अनुमति नही मिल पाती है। छात्रा सोनिया, बी0ए0एलएल-बी0 पंचम सेमेस्टर ने बताया कि लड़कियों के साथ भेद भाव शुरू से ही किया जाता रहा है। कोविड-19 के दौरान बाल विवाह में 52 प्रतिशत वृद्धि हुई है। छात्रा कविता, बी0ए0एलएल-बी0 पंचम सेमेस्टर ने महिला सशक्तिीकरण पर अपने विचार रखते हुये भारतीय दण्ड संहिता की धारा 96 से 106 में प्राइवेट प्रतिरक्षा के अधिकार की जानकारी दी। छात्र सुमित प्रकाश, बी0ए0एलएल-बी0 पंचम सेमेस्टर ने कि बालिकाओं के लिये कानून तो है लेकिन बालिकाओं को कानून से अवगत कराने की आवश्यकता है। छात्र ने एथलीथ हीमा दास आदि महिलाओं को देश का गौरव बताया। छात्रा गंगा बंसल, बी0ए0एलएल-बी0 तृतीय सेमेस्टर ने अन्तर्राष्ट्रीय बालिका दिवस के महत्व को बताते हुये कहा कि सभी को माँ चाहिए, पत्नी चाहिए, बहन चाहिए तो बेटी क्यों नही चाहिए, पर अपने विचार रखें। अंशिका पुण्डीर,  बी0ए0एलएल-बी0 तृतीय सेमेस्टर ने बताया कि दो दशक से बालिकाओं की स्थिति में काफी सुधार आया है। छात्रा जानवी शर्मा, बी0ए0एलएल-बी0 तृतीय सेमेस्टर ने 11 अक्टूबर अन्र्राष्ट्रीय बालिका दिवस की थीम डिजीटल जनरेशन, अवर जनरेशन पर अपने विचार रखे। आकांक्षा मावी ने बताया कि आज भी बालिकायें योन हिंसा, घरेलू हिंसा का सामना कर रही है। निकिता ने बताया कि बालिकाओं को गर्भपात के विरूद्ध भी अधिकार प्राप्त है कि जानकारी दी और बालिकाओं के पोषण, शिक्षा एवं स्वास्थ्य पर ध्यान दिया जाना चाहिए। रीचा ने अपने उद्बोधन में एक कविता के माध्यम से बालिकाओं को स्थिति का वर्णन किया।

मुख्य वक्ता प्रो0 आराधना, इतिहास विभाग ने अन्तर्राष्ट्रीय बालिका दिवस पर बालिकाओं की स्थिति के बारे में बताया कि हमारे प्राचीन काल से ही  महिलाओं का काफी सम्मान रहा है। नवरात्रों का उदाहरण देते हुये बताया कि हमारे यहाँ कन्या पूजन होता है और बालिकाओं को हम देवी का रूप मानते है। उन्होंने बाल विवाह, विधवा विवाह की परम्परा को भारत में पूर्व काल से चलती आ रही।
महिला अध्ययन केन्द्र की समन्वयक प्रो0 बिन्दु शर्मा ने अन्तर्राष्ट्रीय बालिका दिवस के अवसर पर बताया कि शिक्षा के बिना जीवन अधूरा है। चाहे बालिका हो चाहे बालक। उन्होंने बताया कि शिक्षा के माध्यम से बालिकाओं ने हर क्षेत्र में उपलब्धियां प्राप्त की है। उन्होंने उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा संचालित मिशन शक्ति में राज्य सरकार द्वारा चलायी जा रही विभिन्न कार्यक्रमों जागरूकता अभियान आदि की जानकारी दी।
विशिष्ट अतिथि डा0 नाजिया तरनुम्म, सहायक आचार्य, रसायन विभाग ने बताया कि पढ़ाई के दौरान वह अपनी दृढ निश्चयता से आगे बढ़ी है और सभी बालिकायें इसी दृढ़ निश्चयता द्वारा अपने जीवन में सफल हो सकती है। 
कार्यक्रम अध्यक्ष प्रो0 नवीन चन्द लोहानी, संकायाध्यक्ष, हिन्दी ने अपन अध्यक्षीय भाषण में कहा कि यह दिवस इसलिये मनाये जाते है कि इस क्षेत्र में हमे और भी कार्य करने है और क्या कमियां है उन्हे दूर करने का प्रयास किया जाता है। कानून की जानकारी परिवार के लिये एवं समाज के लिये लाभकारी है और डिजिटल जनरेसन आवर जनरेसन जो इस वष्ज्र्ञ की थीम है पर अपने विचार रखे
कार्यक्रम के अन्त में विधि अध्ययन संस्थान के समन्वयक डा0 विवेक कुमार जी ने धन्यवाद ज्ञापित किया और  बालिकाओं की सराहना करते हुये इस प्रकार के कार्यक्रमों में बढ़ चढ़कर हिस्सा लेने के लिये प्रोत्साहित किया। 

कार्यक्रम का संचालन श्री आशीष कौशिक ने किया। इस कार्यक्रम के अवसर पर समस्त छात्र विधि अध्ययन संस्थान उपस्थित रहे विषेश रूप से डा0 विकास कुमार, डा0 कुसुमावती, श्रीमती सुदेशना, श्रीमती अपेक्षा चैधरी, डा0 सुशील शर्मा, डा0 धनपाल, डा0 अनिल यादव, श्री मितेन्द्र गुप्ता, श्री सोहन वीर, श्री तरूण तथा अन्य कर्मचारी एवं शिक्षकगण उपस्थित रहे।

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