सरधना से साजिद कुरैशी की रिपोर्ट
सरधना (मेरठ) मेरठ करनाल मार्ग पर गांव पौहल्ली के निकट महावीर एजुकेशनल पार्क, में राष्ट्रपिता महात्मा गॉधी जी की 152वीं एवं पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री की 117वीं जयंती के अवसर पर कार्यक्रम का आयोजन किया गया।  कार्यक्रम का शुंभारम्भ संस्था के संस्थापक कुबेरदत्त शर्मा, डायरेक्टर जनरल सतीश राधव सी0ई0ओ0 डॉ0 आशीष बालियान, डायरेक्टर एडमिन विक्रान्त यादव एवं प्राचार्य डॉ0 देवदत्त भादलीकर ने गॉधीजी एवं शास्त्री जी के चित्रों पर पुष्पांजली अर्पित कर किया। 
इस अवसर पर संस्थान के छात्रों द्वारा गॉधी जी एवं शास्त्री के जीवन पर गीत, कविता एवं उनके जीवन परिचय पर अपने विचार व्यक्त किये। जिसमे रोहित गौतम, वंदना पाल, नौशाद खान, हर्ष तोमर शशिकांत नंदन आदि छात्रों द्वारा कविता एवं जीवन परिचय पर अपने विचार व्यक्त किये। शगुन, रीटा, लाईबा और पायल ने रघुपति राघव राजा राम गीत गाकर सभी को छुमने पर मजबुर कर दिया गया। संस्थान के सभी कर्मचारियों एवं छात्रों द्वारा एक स्वछता अभियान रैली का आयोजन किया गया। जिसमें संस्थान के आस-पास गंदकी को साफ कर शपथ ग्रहण की गई। 
संस्थान के संस्थापक कुबेरदत्त शर्मा जी ने छात्रो को बताया की महात्मा गांधी जी को शांति और अहिंसा के कारण सम्पूर्ण विश्व जानता हैं। गॉधी जी के पूर्व भी शांति और अहिंसा की बाते लोगो का पता था, परंतु उन्होंने जिस प्रकार सत्याग्रह, शांति व अहिंसा के रास्तों पर चलते हुए अंग्रेजों को भारत छोड़ने पर मजबूर कर दिया, उसका कोई दूसरा उदाहरण विश्व इतिहास में देखने को नहीं मिलता। भारत के लिए यह गर्व की बात है कि संयुक्त राष्ट्र संघ ने वर्ष 2007 से गांधी जयंती को ‘विश्व अहिंसा दिवस’ के रूप में मनाए जाने की घोषणा की है। लाल बाहदुर शास्त्री जी के जीवन पर प्रकाश डालते हुए उन्होंने बताया कि महान लीडर थें और अपनी सादगी और अनुशासन के लिए प्रसिद्ध थे। शास्त्री जी ने जय जवान जय किसान का नारा दिया।
संस्था के डायरेक्टर जनरल सतीश राघव ने उनके जीवन पर प्रकाश डालते हुए बताया कि गांधी की मां पुतलीबाई अत्यधिक धार्मिक थीं। वह नियमित रूप से उपवास रखती थीं और परिवार में किसी के बीमार पड़ने पर उसकी सेवा सुश्रुषा में दिन-रात एक कर देती थीं। उन पर कठिन नीतियों वाले जैन धर्म का गहरा प्रभाव पड़ा। जिसका गहरा प्रभाव गॉधी जी के जीवन पर पडा। इस प्रकार, उन्होंने स्वाभाविक रूप से अहिंसा, शाकाहार, आत्मशुद्धि के लिए उपवास और विभिन्न पंथों को मानने वालों के बीच परस्पर सहिष्णुता को अपनाया।
इस अवसर पर संस्था के सी0ई0ओ0 डॉ आशीष बालियान ने कहा कि फरवरी 1919 में अंग्रेजों के बनाए रॉलेट एक्ट कानून पर, जिसके तहत किसी भीव्यक्ति को बिना मुकदमा चलाए जेल भेजने का प्रावधान था, उन्होंने अंग्रेजों का विरोध किया। फिर गांधीजी ने सत्याग्रह आंदोलन की घोषणा कर दी। इसके परिणाम स्वरूप एक ऐसा राजनीतिक भूचाल आया, जिसने 1919 के बसंत में समूचे उपमहाद्वीप को झकझोर दिया। इस सफलता से प्रेरणा लेकर महात्मा गांधी ने भारतीय स्वतंत्रता के लिए किए जाने वाले अन्य अभियानों में सत्याग्रह और अहिंसा के विरोध जारी रखे, जैसे कि ‘असहयोग आंदोलन‘, ‘नागरिक अवज्ञा आंदोलन‘, ‘दांडी यात्रा‘ तथा ‘भारत छोड़ो आंदोलन‘ मुख्य है। गांधीजी के इन सारे प्रयासों से भारत को 15 अगस्त 1947 को स्वतंत्रता मिल गई।
सस्था के प्राचार्य डॉ0 देवदत्त भादलीकर ने बताया कि संस्कृतियों से समृद्ध एक देश भारत है जहाँ अलग-अलग संस्कृतियों के लोग रहते हैं। हम अपनी भारतीय संस्कृति का बहुत सम्मान और आदर करते हैं। संस्कृति सब कुछ है जैसे दूसरों के साथ व्यवहार करने का तरीका, विचार, प्रथा जिसका हम अनुसरण करते हैं, कला, हस्तशिल्प, धर्म, खाने की आदत, त्योंहार, मेले, संगीत और नृत्य आदि सभी संस्कृति का हिस्सा है। 
इस अवसर पर संस्थान के डायरेक्टर अंकुश शर्मा, नर्सिग विभागाध्यक्ष छाया यादव, कृषि विभागाध्यक्ष डॉ0 योगेश कुमार, फार्मेशी विभागाध्यक्ष डॉ अलीमुदीन सैफी, विधि विभागाध्यक्ष पवन सिंह,  डॉ0 आर0 के0 कौशिक, डॉ0 मंसूर अहमद, डॉ0 अनुपम सिंह, डॉ0 राजरानी सिंह, डॉ0 सुरभि बंसल, डॉ0 अजीत, डॉ0 अभिषेक, डॉ0 पूजा, डॉ0 हर्षा, डॉ0 अंशिका, डॉ0 मनीषा, डॉ0 मनीष, डॉ0 आशीष कांडपाल, डॉ0 मंजू, बिजेन्द्र सिंह, रेनू चौधरी, आरती, नेत्रपाल सिंह आदि एवं संस्थान के सभी छात्र उपस्थित रहे।

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