डा रंजना वर्मा 

गर्भवती महिलाओं की एक आम परेशानी है कमरदर्द। चलते फिरते, उठते बैठते, करवट बदलते अक्सर कमरदर्द की वे शिकायत करती हैं। गर्भावस्था के प्रारंभिक दिनों अर्थात् प्रथम तीन माह में यह समस्या कुछ कम व अंतिम तीन माह में सबसे अधिक देखने को मिलती है।
 गर्भावस्था में कमरदर्द के अनेक कारण होते हैं:-
. गर्भावस्था में गर्भाशय का आकार बढऩे से पीठ की हड्डियों यानी सुषुम्ना पर भी दबाव पड़ता है जिसके कारण कमरदर्द हो सकता है।
. उदर आगे की ओर उभरा हुआ व नितंब पीछे की ओर अधिक उभरे हुए हों तो ऐसी शारीरिक बनावट वाली स्त्री को भी कमरदर्द की शिकायत प्राय: रहती है।
. जिन गर्भवती महिलाओं में कैल्शियम की कमी हो, उनमें हड्डियों के कमज़ोर होने के कारण भी कमरदर्द रहता है।
. ऊंची एड़ी की चप्पल या सेंडिल पहनने से पैरों के अगले व पिछले हिस्से का संतुलन गड़बड़ा जाता है जिसका सीधा प्रभाव नितंब व कमर की मांसपेशियों पर पड़ता है व उनमें खिंचाव होने के कारण कमरदर्द होने लगता है।
. नीचे झुककर काम करना अथवा नीचे झुककर किसी वस्तु को उठाते समय कमर की मांसपेशियों पर ज़ोर देने से खिंचाव के कारण भी कमरदर्द होता है।
. अत्यधिक श्रम करने अथवा अत्यधिक आराम करने से ;हर समय लेटे रहने से कमर दर्द हो सकता है।
. गर्भाशय की वृद्धि से कभी.कभी नितंब प्रदेश की नसों पर दबाव पडऩे से कमररर्द होता है।
. गर्भाशय या उसके आसपास के अंगों का किसी गंभीर रोग से ग्रस्त होना भी कमरदर्द का कारण हो सकता है।
ये कुछ सामान्य से कारण हैं कमरदर्द केइनका ऐसे  करे बचाव
 सर्वप्रथम गर्भावस्था के संपूर्ण नौ माह के अंतराल में खानपान का विशेष ध्यान रखें। हर माह चिकित्सक को दिखाएं और विटामिन, मिनरल, आयरन प्रोटीन व कैल्शियम इत्यादि की कमी पाए जाने पर उचित उपचार लें। समय.समय पर रक्त व मूत्र परीक्षण चिकित्सक की सलाह अनुसार कराती रहें।
अपने उठने बैठने के ढंग व शरीर के पोस्चर पर ध्यान दें। पोस्चर सीधा रखने का प्रयत्न करें। अधिक झुकने वाले काम न करें। यदि झुकना पड़े तो जांधों की मांसपेशियों पर ज़ोर दें न कि कमर की मांसपेशियों पर। नीचे बैठते उठते समय जांघों को हाथ का सहारा दें जिससे कमर के हिस्से पर दबाव न पड़े।
ऊंची एड़ी के सेंडिल या चप्पल न पहनें। सपाट व मुलायम तले की चप्पलें पहनें। हल्का फुल्का शारीरिक व्यायाम करती रहें। अत्यधिक श्रम या अत्यधिक आराम से बचें। सोते समय दोनों ओर बारी.बारी करवट लेकर सोएं। अधिक समय तक या लगातार पीठ के बल न सोएं।
यदि कोई स्थानीय रोग या संक्रमण हो तो चिकित्सक से संपर्क करें व उचित उपचार लें। उक्त सावधानियां बरतने पर कमरदर्द की शिकायत से काफी हद तक बचा जा सकता है।


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