-स्ट्रिक्चरमूल पित्त वाहिनी से पीड़ित थे मेरठ निवासी 47 वर्षीय सोम
मेरठ। जीवा आयुर्वेद ने 47 वर्षीय मनोज सोम के जीवन को फिर से खुशियों से भर दिया। मनोज पिछले कुछ सालों से स्ट्रिक्चरमूल पित्त वाहिनी से परेशान थे।
स्ट्रिक्चर मूल पित्त वाहिनी को पित्त नली दोष भी कहा जाता है। यह तब होता है जब पित्त की नली छोटी या संकरी हो जाती है। पित्त नली वह नली होती है जो अग्न्याशय से लीवर और पित्ताशय से पित्त को ग्रहणी छोटी आंत के ऊपरी भाग में ले जाती है। पित्त शरीर में वसायुक्त खाद्य पदार्थों के पाचन में मदद करता है और पित्त नली के संकरा या संकुचित होने से शरीर के दाईं ओर जहां लीवर और पित्ताश्य होते हैं पेट दर्द, खुजली जैसे सामान्य लक्षण, त्वचा और आंखों का पीला पड़ना एक अपशिष्ट पदार्थ, थकान, वजन घटना, बुखार, रात में पसीना आना, भूख न लगना और हल्के रंग का मल आना जैसे लक्षण धीरे-धीरे दिखाई देने लगते हैं। रोगी जीवा आयुर्वेद के मेरठ स्थित क्लीनिक में आए और उन्होंने बताया कि वह पिछले कुछ सालों से बहुत परेशानी का सामना कर रहे हैं। उन्हें मध्य एपिगैस्ट्रियम (पेट के ऊपरी मध्य हिस्से) में अत्याधिक दर्द के साथ-साथ भूख न लगना और वजन कम होने जैसी समस्याएं भी थीं। जब मनोज सोम की जांच की गई तो यह पता चला कि उन्हें स्ट्रिक्चर सीबीडी की समस्या है। जांच से पता चला कि उन्हें सामान्य पित्त नली के पित्त दोष (बाइलरी स्ट्रिक्चर) के प्रारंभिक चरण के साथ क्रोनिक कैल्सीफाइड पैन्क्रियाटाइटिस है। इसके बाद एमआरआई रिपोर्ट में पाया गया कि मरीज का सीबीडी ब्लॉक हो गया था।
दिसंबर 2020 में शुरू हुआ इलाज
जांच में सामने आया कि साल 2018 में एक प्रसिद्ध अस्पताल में उन्होंने एक छोटी सी सर्जरी करवाई थी। इस सर्जरी के दौरान स्ट्रिक्चर को खुला रखने के लिए एक स्टेंट डाला गया था। हालांकि, समय के साथ उनको फिर से वही समस्याएं होने लगी और उन्हें एक और सर्जरी कराने की सलाह दी गई। सर्जरी से बचने के लिए मनोज सोम ने जीवा आयुर्वेद के क्लीनिक पर आने का फैसला किया। उन्होंने जीवा आयुर्वेद के विशेषज्ञों को अपने सीबीडी स्ट्रिक्चर के बारे में बताया और दिसंबर 2020 में इलाज शुरू किया।
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