चार किशोरी लीडर्स महामारी के दौरान लड़कियों को शिक्षा, स्वच्छता उपलब्ध करा रही 

मेरठ : पीपुल पाॅवर्ड डिजिटल नैरेटिव्स ने एक डाॅक्युमेंट्री,'गर्ल्स ऑन ए मिशन’ लाॅन्च की है, जो समुदाय में शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए किशोरी लीडर्स के योगदान को क्रमबद्ध करती है।

आज लाॅन्च की गई डाॅक्युमेंट्री में दिखाया गया है कि चार लड़कियां - पुनीता, रिंकू, निशा और पिंकी विधार्थियो के स्कूल छोडने की समस्या के समाधान में अपना योगदान दे रही हैं। ये लड़कियां उत्तर प्रदेश के खुशीनगर जिले में शाहपुर खलवापट्टी, और मिश्रोली गांवों के स्कूल में प्रवेश बढ़ाने और स्कूल छोड़ने के दर को कम करने के लिए काम कर रही हैं।
शाहपुर खलवापट्टी की निशा ने कहा, ‘‘लड़कियों के साथ भेदभाव होता है और उनसे घर के काम करवाए जाते हैं। अपने गांव की सभी लड़कियों को स्कूल में भर्ती करना और उनका कक्षा में बने रहने की जिम्मेवारी लेते हैं।
मिश्रोली गांव की पिंकी कुमारी ने कहा, ‘‘हमने लड़कियों को स्कूल में भर्ती कराने का अभियान अपने गांव में चलाया है। हमने रमाबाई किशोरी संगठन बनाया, जो स्कूल चलो अभियान द्वारा लड़कियों को स्कूल में भर्ती कराता है और सुनिश्चित करता है कि वो स्कूल में बनी रहें।’’
लड़कियों के प्रति भेदभाव होता है और उन्हें शिक्षा उपलब्ध कराना चुनौतीपूर्ण होता है। स्कूल चलो अभियान दस गांवों में चलाया गया और उसमें 445 लड़कों, 407 लड़कियों एवं 126 सहयोगियों, जैसे स्कूल के टीचर्स, स्कूल मैनेजमेंट समिति के सदस्यों, वार्ड सदस्यों और सामुदायिक संगठनों के प्रतिनिधियों ने हिस्सा लिया।
पुनीता, रिंकू, निशा और पिंकी ने एक एनजीओ के साथ मिलकर दो समूह बनाया है। पुनीता और निशा ने शाहपुर खलवापट्टी में समूह बनाया और पिंकी व रिंकू ने मिश्रोली में यह समूह बनाया। इन किशोरी संगठनों ने स्वच्छता, स्वास्थ्य, पर्यावरण व शिक्षा में सुधार लाने के उपायों पर चर्चा की है।
शाहपुर खलवापट्टी की रिंकू ने कहा, ‘‘इससे पहले, माता-पिता अपनी बेटियों को स्कूल भेजने में झिझकते थे। लेकिन हमने उन्हें स्कूली शिक्षा के फायदे समझाए और लोगों की मानसिकता में परिवर्तन लाने के लिए गांवों में अथक प्रयास किया। हमें खुशी है कि इसमें हमें सफलता मिली।’’लड़कियों के अभियान ने 10 गांवों में 1,500 परिवारों को समझाया और स्कूल में 166 बच्चों का प्रवेश कराया।

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