जिंदगी कि दुआ हर किसी ने किया, मैं किया ना किया ना कोई बात है। लोग कहते हैं हर दिल में बसता है वो, फिर फिकर क्या करें जो वही साथ है।। हाल सबके ह्रदय का वो है जानता, सारी रचना को अपना वही मानता। वो हमारा पिता उसकी संतान हम, सोचना क्या हमें जो वही पास है।। सृष्टि के हर कणों में क्षणों में बसा, आस जीवन की ले फूल में वो हँसा। कर्म सुन्दर करें प्यार सबसे करें, दु:ख न देगा हमें विरही विश्वास है।। कर्म कर, धर्म कर, शर्म कर, धर्म चर, चोट ना दो कभी जीव के मर्म पर। चल ना पायेगी कोई चालाकी तेरी, वश उसी का भले यह तेरी सांस है।।
------ - वीरेन्द्र कुमार मिश्र 'विरही' विन्दवलिया, नोनापार-देवरिया।
No comments:
Post a Comment