आज पूरा मानव जीवन पर्यावरण प्रदूषण के कारण बुरी तरह से प्रभावित हो रहा है। इसके पीछे मुख्य कारण वृक्षों की हो रही अंधाधुंध कटाई है। प्रत्येक वर्ष अंतर्राष्ट्रीय पर्यावरण दिवस पर विशेष रूप करोड़ों पौधे तो पूरे देश में लगाये जाते हैं, परन्तु इनका समुचित रूप से रख-रखाव न होने के कारण सब नष्ट हो जाते हैं। दूसरे यह कि गर्मी में पौधे लगाने से यदि नित्य पानी नहीं दिया जाता रहेगा तो वे सूख जाते हैं।
मानव ने अपनी सुख -सुविधा के लिए, विकास के नाम पर, शहरीकरण एवं औद्योगीकरण के नाम पर वृक्षों की खूब कटाई किया है। पर्वतीय क्षेत्रों में भी पन बिजली योजनाओं के निर्माण स्थलों पर लाखों वृक्षों की कटाई होती जा रही है।ऊँचे पहाड़ों पर अंधाधुंध वृक्षों की कटाई करके बड़ी-बड़ी अट्टालिकाओं का निर्माण हो रहा है। नतीजा यह हुआ है कि जब भी भारी वर्षा होती है तो पहाड़ दरकने लगते हैं। ऐसे स्थानों पर भूकंप आने की संभावनाएं भी अधिक होती हैं। 2013 में उत्तराखंड इसका खामियाजा उठा चुका है, जिससे आज तक वह उबर नहीं पाया है। अभी हाल ही में वहां जो टनल वाली दुर्घटना हुई जिसमें सैकड़ों ज़िन्दगियाँ काल के गाल में समा गयीं। इस तरह की उत्तराखंड एवं हिमाचल प्रदेश में आए दिन दुर्घटनाएं होती रहती हैं। इस तरह की दुर्घटनाओं के कारण मानव जीवन बुरी तरह से प्रभावित हो रहा है। सड़क के किनारे जो भी वृक्ष थे वे सभी हाईवे के निर्माण में बलि चढा दिए गए। उनके स्थान पर नये वृक्ष सड़क निर्माण विभाग या वानिकी विभाग ने लगाये ही नहीं। लगाये भी तो आम, इमली, जामुन, महुआ, पाकड़, गूलर, बरगद, पीपल की जगह जंगली वृक्ष। फलदार और अधिक छायादार वृक्षों के रहने से न केवल मानव जीवन सुरक्षित रहेगा बल्कि पूरी सृष्टि सुरक्षित रहेगी, क्योंकि इन वृक्षों अधिक आक्सीजन उत्सर्जित करने एवं कार्बनडाइऑक्साइड को अवशोषित करने की क्षमता अधिक होती है। आज जितने भी जीव -जन्तु एवं पशु-पक्षी हैं न तो उनके आश्रय स्थल बचे हैं और न ही खाने के लिए फल आदि। फलदार वृक्षों के रोपण से कई तरह के लाभ होंगे। कहावत भी है कि- आम के आम गुठलियों के दाम। जैसे-जैसे यह धरा वृक्षविहीन होती जा रही है वैसे-वैसे जल-जीवन और जीव सभी बुरी तरह से प्रभावित हो रहे हैं। मानव के व्यवहार में कयी तरह के नकारात्मक परिवर्तन हो रहे हैं। बढ़ते प्रदूषण के कारण मानव में काफी चिड़चिड़ापन, दमा की बीमारी तथा अन्य व्यावहारिक विसंगतियां देखने को मिल रही हैं। अच्छा है कि उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ एक जुलाई से सात जुलाई तक वन महोत्सव का आयोजन करके बृहद पैमाने पर वृक्षारोपण कराने जा रहे हैं, लेकिन इतना अवश्य वानिकी एवं उद्यान विभाग ध्यान रखे कि फलदार एवं आक्सीजन उत्सर्जित करने वाले वृक्षों का ही रोपण कराएं और उनके सुरक्षा के लिए जालीदार ट्री गार्ड की भी व्यवस्था करें। वृक्ष हैं तो जल है। जल है तो जीव हैं। जब जल और जीव रहेंगे तभी जीवन भी सुरक्षित रहेगा और मानव व्यवहार में किसी भी तरह की विसंगति नहीं आएगी। - प्रभारी उच्च शिक्षा संवर्ग, राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ (यूपी)।
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